अहिंसा परमो धर्म धर्म हिंसा तथैव च किस धर्म ग्रंथ से लिया गया है
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महाभारत में योगेश्वर श्री कृष्ण के द्वारा बोला गया यह श्लोक "अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च" है.
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अहिंसा परमो धर्म धर्म हिंसा तथैव च , यह श्लोक महान धर्म ग्रंथ महाभारत से लिया गया है।
- अहिंसा परमो धर्म , इस श्लोक का वर्णन सर्वप्रथम महाभारत में किया गया परन्तु भगवान महावीर ने इसका प्रसार किया। इस श्लोक का अर्थ है अहिंसा ही हमारा सबसे बड़ा धर्म है।
- जब भारत में अंग्रेजो ने व्यापार करने की दृष्टि से प्रवेश किया तब किसी को यह अनुमान नहीं था कि ये ब्रिटिश यही शासक बन कर रह जाएंगे।
- अंग्रेजी ने यह धर्म वाद , जाति वाद के आधार पर लोगो ने झगडे करवाई वी फूट डलवाई।
- इन सबके बावजूद गांधीजी ने सत्य व अहिंसा का बड़ा दिया । उन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलकर स्वतंत्रता प्राप्त करने का निर्णय किया व लोगो को भी यही संदेश दिया।
- उन्होंने अतिथि देवो भव। यह भी समझाया लेकिन ये अतिथि हमारा ही घर लूट कर चले गए।
- फिर भी गांधीजी ने अपने मार्ग पर चलकर इंगे एक दिन यहां से खदेड़ दिया।
#SPJ3
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