अहह आ: च
अजीजः सरलः परिश्रमी च आसीत्। सः स्वामिनः एव सेवायां लीनः आसीत्।
एकदा सः गृहं गन्तुम् अवकाशं वाञ्छति। स्वामी चतुरः आसीत्। सः
चिन्तयति-'अजीजः इव न कोऽपि अन्यः कार्यकुशलः। एष अवकाशस्य अपि
वेतनं ग्रहीष्यति।' एवं चिन्तयित्वा स्वामी कथयति-'अहं तुभ्यम् अवकाशस्य
वेतनस्य च सर्वं धनं दास्यामि।' परम् एतदर्थं त्वं वस्तुद्वयम् आनय-'अहह!
'आ:!' च इति। Hindi me anuvad
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अहह और आ
अजीज सामान्य और मेहनती था । वह स्वामी की ही सेवा में मग्न रहता था। एक बार वह घर जाने के लिए अवकाश चाहता था । स्वामी चतुर था। वह विचार करता है - 'अजीज निश्चय से कोई भी अन्य काम करने में कुशल नहीं है। यह अवकाश को भी वेतन ग्रहण करेगा।' इस प्रकार विचार करके स्वामी ने कहा - 'मैं तुमको अवकाश का वेतन और सर धन दूंगा।' पर इसके लिए तुम दो व्यस्तुंए लाओ - 'अहह! और आ! बस'
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