air pollution par kavita in Hindi.
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पेड़ फूलों को मत तोड़ो छिन जायेगी मेरी ममता हरियाली को मत हरो हो जायेंगे मेरे चेहरे स्याह मेरी बाहों को मत काटो ...
नदियाँ हजार-हजार दु:ख उठाकर जन्म लिया है मैंने फिर भी औरों की तरह मेरी सांसों की डोर भी ...
हवा मैं थी अल्हड़-अलमस्त विचरती थी स्वछंद ...
पहाड़ चाहता था मैं भी जीना स्वछंद थी महत्वाकांक्षाएँ मेरी भी पर अचानक!
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