ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।
Aarohijaiswal:
yess
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लेखक के बस के अंदर बैठने के कुछ देर बाद इंजन चालू हुआ तो ऐसा लगा मानो सारी बस इंजन के समान धक धक कर हिलने-डुलने लगी हो। लेखक यह सोचने पर विवश हो गया कि वह बस में बैठा है यह इंजन के अंदर। सारी बस पूरी तरह से हिल रही थी जो उसकी सोच को पूर्णतः सच कर रही थी।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।
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