ऐसा कोई दिन आ सकता है, जबकि मनुष्य के नाखूनों का बढ़ना बंद हो जाएगा। प्राणिशास्त्रियों का ऐसा अनुमान है कि मनुष्य
का यह अनावश्यक अंग उसी प्रकार झड़ जाएगा, जिस प्रकार उसकी पूछ झड़ गई है। उस दिन मनुष्य की पशुता श्री लुप्त हो
जाएगी। शायद उस दिन वह मारणास्त्रों का प्रयोग भी बंद कर देगा। तब तक इस बात से छोटे बच्चों को परिचित करा देना
वांछनीय जान पड़ता है कि नाखून का बढ़ना मनुष्य के भीतर की पशुता की निशानी है और उसे नहीं बढ़ने देना मनुष्य की
अपनी इच्छा है, अपना आदर्श है।बृहत्तर जीवन में अस्त्र-शास्त्रों को बढ़ने दैना मनुष्य की पशुता की निशानी है और उनकी बाढ़
को रोकना मनुष्यत्व का तकाजा। मनुष्य में जो घृणा है, जो अनायास बिना सिखाए आ जाती है, वह पशुत्व का द्योतक है 30
अपने को संयत रखना, दूसरे के मनोभावों का आदर करना मनुष्य का स्वधर्म है। बच्चे यह जाने तो अच्छा हो कि अभ्यास और
तप से प्राप्त वस्तुएँ मनुष्य की महिमा को सूचित करती हो मनुष्य की चरितार्थता प्रेम में है, मैत्री में है, त्याग में है, अपने को
सबके मगल के लिए नि:शेष भाव से दे देने में हो नाखूनों का बढ़ना मनुष्य की उस अंघ सहजात वृत्ति का परिणाम है, जो
उसके जीवन में सफलता ले आना चाहती है। उसको काट देना उस स्व-निर्धारित, आत्म-बंधन का फल है, जो उसे चरितार्थता
की ओर ले जाती है।
is ghandyansh mein ka uchit shirshak Kya hai
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can't understand hindi well dear..
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is the product of the mass and velocity of an object. ... In SI units, momentum is measured in kilogram meters per second (kg⋅m/s). Newton's second law of motion states that the rate of change of a body's momentum is equal to the net force acting on it
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