ऐसा क्या कारण है कि नेपाल आज तक किसी भी देश का गुलाम नहीं बना?
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वीर विनायक दामोदर सावरकर द्वारा
लिखित एक अद्भुत ग्रन्थ - "१८५७ का स्वतांत्रय समर" विस्तार
से बताती हू ।
तत्कालिन् नेपाली राजा जंगबहादुर अंग्रेजों का चाटुकार था
और अपने पडोसी देश भारत का गद्दार था।
जब 1857 के अंत में अंग्रेजों ने दिल्ली समेत लगभग
पूरे देश में क्रांति की ज्वाला बुझा दी
थी तब भी अवध में क्रांति का
ज्वालामुखी हिलोरें मार रहा था। बेगम हज़रत महल
तथा मौलवी अहमदशाह के नेतृत्व में कई
क्रांतिवीर अंग्रेजों के खून के प्यासे बैठे थे। अंग्रेज़
भी इनसे घबराये थे तब इन्होंने जंगबहादुर को बुलवाया।
भारतमाता की छाती में तलवार घोंपने वाला
नेपाली राजा जंगबहादुर दौड़ा आया और
अपनी गोरखा पलटनों को अंग्रेजों के हवाले किया। तब
जाकर फिरंगी अवध जीत सके।
क्रांति के अंतिम युद्ध में दिसम्बर 1858 में जब बेगम हज़रत
महल अपने बेटों के साथ तथा अंतिम पेशवा नाना साहब धोंधुपन्त
अपने बड़े भाई राव साहब 60 हज़ार सैनिकों को लेकर नेपाल में
शरण पाने के लिए गये थे। शरण देने के बजाय
अखण्डद्रोही राजा जंगबहादुर ने अंग्रेजों के साथ इन
क्रांतिवीरों को मृत्युदण्ड दे डाला वो भी तब
जब नाना साहब ने नेपाली सेना के बदले पूरे भारत को
जीतकर नेपाल में मिला देने का प्रस्ताव द
लिखित एक अद्भुत ग्रन्थ - "१८५७ का स्वतांत्रय समर" विस्तार
से बताती हू ।
तत्कालिन् नेपाली राजा जंगबहादुर अंग्रेजों का चाटुकार था
और अपने पडोसी देश भारत का गद्दार था।
जब 1857 के अंत में अंग्रेजों ने दिल्ली समेत लगभग
पूरे देश में क्रांति की ज्वाला बुझा दी
थी तब भी अवध में क्रांति का
ज्वालामुखी हिलोरें मार रहा था। बेगम हज़रत महल
तथा मौलवी अहमदशाह के नेतृत्व में कई
क्रांतिवीर अंग्रेजों के खून के प्यासे बैठे थे। अंग्रेज़
भी इनसे घबराये थे तब इन्होंने जंगबहादुर को बुलवाया।
भारतमाता की छाती में तलवार घोंपने वाला
नेपाली राजा जंगबहादुर दौड़ा आया और
अपनी गोरखा पलटनों को अंग्रेजों के हवाले किया। तब
जाकर फिरंगी अवध जीत सके।
क्रांति के अंतिम युद्ध में दिसम्बर 1858 में जब बेगम हज़रत
महल अपने बेटों के साथ तथा अंतिम पेशवा नाना साहब धोंधुपन्त
अपने बड़े भाई राव साहब 60 हज़ार सैनिकों को लेकर नेपाल में
शरण पाने के लिए गये थे। शरण देने के बजाय
अखण्डद्रोही राजा जंगबहादुर ने अंग्रेजों के साथ इन
क्रांतिवीरों को मृत्युदण्ड दे डाला वो भी तब
जब नाना साहब ने नेपाली सेना के बदले पूरे भारत को
जीतकर नेपाल में मिला देने का प्रस्ताव द
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it is due to the friendly and smart behavior of Nepal to other countries. There were many brave ancestors like Junga bd. rana, balabhadra kunwar, bhimsen thapa and so on. hence, nepal has never lived under of any other countries.
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