. ऐसा क्यों कहते हैं कि विद्या रूपी धन अनोखा है?
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साधनों का मूल है-धन, ज्ञान, चातुर्य और इनका आधार 'विद्या' है। इसलिए यह विद्या एक अनोखा धन है, जो दान करने से तो बढ़ता है, परंतु गाडक़र रखने से नष्ट हो जाता है। विद्या अमूल्य और अनश्वर धन है। इसका नाश कभी नहीं होता।
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