Hindi, asked by salonigupta8059, 1 month ago

ऐसा क्यों लग रहा था कि अब कभी सवेरा नहीं होगा ? यहाँ सवेरे से क्या तात्पर्य है निर्माण ' कविता के आधार पर बताइए । fast​

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Answered by shrishti001
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आँधी ने पूरे आसमान को इस तरह से ढँक दिया था कि दिन में भी रात जैसा अँधेरा हो गया था | रात तो इतनी ज्यादा अँधकारमय थी कि ऐसा लगता था जैसे अब कभी सुबह नहीं होगी | यहाँ अँधेरा संकटों तथा दुखों का प्रतीक है और सवेरा उन संकटों तथा दुखों के समाप्त होने की आशा है | कवि कह रहे हैं कि यह दुख इतना बड़ा है कि लगता है वो कभी समाप्त ही नहीं होगा |

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