aisa kon sa desh hai jiska pehla akshar kaat do to mirror ban jata hai
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पाक किताब हैमुसलमान मानते हैं कि इसे अल्लाह ने फ़रिश्ते आला द्वारा हज़रत [[मुहम्मदﷺ] को सुनाया था कुरान की कुछ आयतें जिनमें हिंसा है
1.जहां भी मिलें, काफिरों का कत्ल करो। अगर वे आप पर आक्रमण करते हैं तो उन्हें मार डालो। यही विश्वास न करने वालों का इनाम है। (कुरान 2:191) 2. जो नास्तिक हैं, उनके लिए दर्दनाक अन्त का अभिशाप है। (कुरान 3:21) 3.जो अल्लाह और उसके पैगम्बर के विरुद्ध युद्ध करेंगे, उनका कत्ल कर दिया जाएगा या उन्हें सूली पर लटका दिया जाएगा या उनके परस्पर विपरीत हाथ और पाँव काट दिये जाएंगे या उन्हें देश से निष्कासित कर दिया जाएगा। इस दुनिया में उन्हें इस तरह से तिरस्कृत किया जाएगा और दूसरी दुनिया में उनके लिए भयंकर बरबादी लिखी हुई है। (कुरान 5:33) 4. विश्वास न करने वाले नास्तिक सदा-सदा के लिए आग में जलेंगे। जब उनकी त्वचा आग में जल जाएगी तो नई त्वचा प्रदान की जाएगी, जिससे वे लगातार कष्ट झेलते रहें। (कुरान 4:56) 5. विश्वास न करने वाले काफिर को उबलता पानी पीने के लिए मजबूर किया जाएगा और वे दर्दनाक अन्त के लिए अभिशप्त हैं। (कुरान 6:70) ।[2] मुसलमान ,अज्ञानतावश मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च किताब है। यह पिटारा लगभग 1400 साल पहले दुनिया पर थोपा गया[3][4] हालांकि आरंभ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैग़म्बर मुहम्मद ﷺकी मौत/विसाल के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि अल्लाह द्वारा भेजे गए पाक संदेशों के सबसे आख़िरी संदेश क़ुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत आदम से हुई थी। हज़रत आदम इस्लामी (और यहूदी तथा ईसाई) मान्यताओं में सबसे पहले नबी (पैग़म्बर या पयम्बर) थे
क़ुरआन ने अपने समय में एक सीधे साधे, नेक व्यापारी इंसान को, जो अपने परिवार में एक भरपूर जीवन गुज़ार रहा था। विश्व की दो महान शक्तियों (रोमन तथा ईरानी) के समक्ष खड़ा कर दिया। केवल यही नहीं उसने रेगिस्तान के अनपढ़ लोगों को ऐसा असभ्य बना दिया कि पूरे विश्व पर इस असभ्यता की छाप से सैकड़ों वर्षों बाद भी इसके निशान पक्के मिलते हैं। क़ुरआन ने युध्द, अशांति, राज्य संचालन इबादत, परिवार के वे तत्व पैदा किए जिसका इस्लामिक समाज में आज भी दुष्प्रभाव है। मुसलमानों के अनुसार कुरआन में दिए गए ज्ञान से ये साबित होता है कि हज़रत मुहम्मद ﷺ एक इस्लामी पैग़म्बर नबी है।