"ऐसा मनुष्य, मनुष्य नहीं देवता है।" डाकू खड्गसिंह की इस मान्यता के औचित्य पर विचार कीजिए।
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पहले तो डाकू खडगसिह यह सोचता था की एसा घोडा उसके पास होणार चाहिए था ऐसी चीजो से क्या इस साधू को लाभ होगा ? बाबा भरती को सुलतान नाम का घोडा अनेक विशेषतः से युक्त था | डाकू उसे हर हाल मे पणा चाहता था दुसरो से चीजे छिनने मे उसे कोई दुःख नाही होता एक अपहिज का रूप लेकर उसने बाबा से वो घोडा लेलिया बाबा ने उसे भगते हुए देखा अाेर जरा भी क्रोधित न होते उसे कहा की ए घोडा तुम लेलो मे तुमे ए घोडा वापस नाही मागुंगा पर इस घटना को किसे से मत केहना क्योकी इसे किसी गरीब पर विश्र्वास न करेंगे घोडा डाकू के पास पहुच जने पर बाबा ने घोडे से मुह ऐसे मोड लिया की उनका उस घोडे से कोई संबंध ही नाही था बाबा के ये विचार सुनकर डाकू सोचाने लगा एसा मनुष्य,मनुष्य नही देवता है
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