ऐसे समाज की कल्पना कीजिए जहाँ कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, क्या यह संभव है? अगर नहीं तो क्यों?
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Answer with Explanation:
हम ऐसे समाज की रचना कर ही नहीं सकते जहां पर कोई प्रतियोगिता न हो । अगर ऐसा हो जाए तो सभी व्यक्तियों को समान रूप से सब कुछ प्राप्त होने लग जाएगा। व्यक्ति को बिना प्रतियोगिता के ही सब कुछ प्राप्त होने लग जाएगा । इस स्थिति में वह कोशिश करना ही बंद कर देगा जिससे समाज की प्रगति भी थम जाएगी। इस प्रकार समाज की प्रगति के लिए प्रतियोगिता आवश्यक है । हम ऐसे समाज के बारे में सोच भी नहीं सकते जिसमें प्रतियोगिता न हो।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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★ उत्तर :-
प्रतिस्पर्धा के बिना एक समाज कल्पना से परे है। प्रतियोगिता सार्वभौमिक और प्राकृतिक है और यह हर जगह मौजूद है।
आज की दुनिया में हर समाज में प्रतिस्पर्धा एक मार्गदर्शक शक्ति है।
बिना प्रतिस्पर्धा के एक समाज सभी के लिए समानता के सिद्धांत पर बनाया गया है जो समाजवाद की विचारधारा है, लेकिन समाजवाद काम नहीं करता है क्योंकि यह मानव व्यवहार के मूल सिद्धांतों के साथ असंगत है।
जीवित रहने के लिए प्रतिस्पर्धा करना एक मानवीय स्वभाव है। समाज में होने वाली सभी उन्नति, नवाचार सिर्फ प्रतिस्पर्धा के कारण होते हैं
प्रतिस्पर्धा पूंजीवाद की प्रमुख विचारधारा है जो अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए बाज़ार में मुफ्त प्रतिस्पर्धा की अनुमति देती है