Hindi, asked by aatir92, 10 months ago

ऐसा उत्पाद जो पर्यावरण और स्वास्थ्य की दृष्टि से अन्य उत्पादों की तुलना में बेहतर हो पर लोग उसके बारे में कम जानते हो ​

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Answered by shaikhdail1
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Answer:हमारी शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कुशलता हमारे स्वस्थ रहने पर निर्भर करती है। हमारा स्वास्थ्य बहुत हद तक जो पानी हम प्रयोग में लाते हैं, उसकी गुणवत्ता पर, जहाँ हम अपना अन्न पैदा करते हैं, उस मिट्टी पर तथा हमारे कूड़ा करकट निपटाने के तरीकों पर, हमारे आस-पास के पशु तथा पेड़ पौधों पर जहाँ हम सांस लेते हैं, उस हवा पर और जहाँ हम रहते है या कार्य करते हैं उस जगह पर निर्भर करता है। केवल सुरक्षित जल उपलब्ध करवाने से स्वास्थ लाभ प्राप्त नहीं किया जा सकता, जब तक कि इसकों स्वच्छता में सुधार के साथ जोड़ा न जाए। इसलिये संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1981-90 में अन्तरराष्ट्रीय पेयजल और स्वच्छता दशक सुरक्षित तथा पर्याप्त पेयजल और बेहतर स्वच्छता को समुन्नत करने के उद्देश्य के साथ चलाया था।

हमारी सरकार सभी ग्रामों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिये वचनबद्ध है। इसी उद्देश्य के तहत गंगा कार्य योजना नदी के जल प्रदूषण को साफ करने के लिये चलाई गई है। गंगा का प्रदूषण उसके किनारे बसे 200 शहरों और कस्बों से है। इस योजना में वर्तमान सीवरों का नवीनीकरण तथा नए सीवर बनाना। गंगा में सीवरों के पानी को रोकने के लिये अवरोधकों का निर्माण तथा सीवर उपचार संयंत्र का पूर्व नवीनीकरण और निर्माण मुख्य है। पिछले दशकों में अव्यवस्थित और बड़ी संख्या में पेड़ों के काटने से भी हिमालय के आस-पास के क्षेत्र संवेदनशील बन गए हैं और पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि कटाव बढ़ गया है। वनों की संख्या बढ़ाकर और नए पौधों को लगाकर लगातार वनों की संख्या बढ़ानी होगी जिससे कि वातावरण में प्रदूषण प्रक्रिया कार्बनडाई ऑक्साइड के दूषण को कम किया जा सके और तेजी से नष्ट हो रही ऑक्सीजन को बनाए रखा जा सके।

विकासशील देशों में असुरक्षित दूषित जल और अन्य पर्यावरणीय कारकों का परिणाम अधिकांश संचारी और जलवाही रोग है। समूचे विश्व में 10 अरब 60 करोड़ से भी अधिक लोगों को सुरक्षित पीने का पानी नहीं मिलता तथा 10 अरब 20 करोड़ लोगों को पर्याप्त स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। स्वस्थ पर्यावरण की प्रथम वरीयता कीटाणुओं के कारण होने वाले रोगों से मुक्त पेयजल आपूर्ति है। अस्वस्थ पर्यावरण में स्वस्थ जल भी आसानी से दूषित हो जाता है। केवल स्वस्थ जल प्रदान करने से ही स्वास्थ्य लाभ नहीं होगा जब तक कि इसकी स्वच्छता को सुधार नहीं किया जाए।

जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मलनिपटान और वनों की समाप्ति ऐसी समस्या है जोकि प्रौद्योगिकी के तेजी से प्रयोग और आधुनिकीकरण प्रक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न हो रही है। पर्यावरण पतन से मानव स्वास्थ्य को नुकसान और विकास को क्षति होती है। शहरीकरण और औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप अधिक लोग शहरों में आ रहें हैं। जिनके कारण घनी बस्तियाँ, अस्वास्थ्यप्रद अवस्था, कीट और चूहों की समस्या से बीमारियाँ बढ़ रही हैं। ऐसी बस्तियों में उचित आवास और स्वास्थ्यप्रद जीवन के लिये आवश्यक सेवाओं की कमी होती है। आवासों की रूप-रेखा और बनावट इस प्रकार की होनी चाहिए कि उसमें पर्याप्त हवा और धूप आ सकें, तथा सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था हो, कूड़े करकट के उचित निपटान और शौचालयों की उचित व्यवस्था निहित हो।

यह प्रदूषण अधिकांश औद्योगिक कचरे के कारण होता है जिसे उपचारित किए बिना ही जलस्रोत या नदी आदि में बहा दिया जाता है। इस औद्योगिक कचरे में तेजाब, क्षार, तेल और कुछ ऐसे रसायन होते हैं जो स्वास्थ्य के लिये विषैले और नुकसानदायक होते हैं।

स्वस्थ पर्यावरण के लिये रोगोत्पादक कीटाणुओं रहित शुद्ध और सुरक्षित जल नितांत सर्वोपरि है। सुरक्षित और स्वस्थ जल न होने से टाइफाइड, हैजा, पीलिया, पोलियो, पेचिस, सूक्ष्म कीटाणु आदि रोगों को सहज ही बढावा मिलता है। ये रोग व्यक्ति से व्यक्ति को लगते हैं जबकि रोगी व्यक्ति का मल अन्य स्राव उसके परिणाम जाने बिना पानी में मिला दिए जाते हैं। नगरपालिका और पंचायतें शुद्ध और स्वास्थ्यप्रद पानी की आपूर्ति कर सकती हैं किन्तु गाँव में लोग पानी के लिये कुएँ तालाब, झील या बावड़ी पर निर्भर रहते हैं, ये ऐसे जलस्रोत हैं जो रोगाणुओं से दूषित हो सकते हैं। तंग बस्तियों औद्योगिक क्षेत्रों के पास बसी बस्तियों में जल का अयोजनाबद्ध निकास भी प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक है। इसके लिये इन बस्तियों में पक्की नालियों का विकास व मलमूत्र के तरीकेबद्ध शौचालय होने चाहिए। सीलन वाले आवास स्वास्थ्य के लिये खतरे की घंटी हैं। गीलापन से वायुरोग गठिया, शीतलता आदि रोग पैदा होते हैं। हमारे देश में प्रदूषण का मूल कारण गरीबी है। अधिकसंख्य जनता की गरीबी और कुछ संपन्न व्यक्तियों के द्वारा प्राकृतिक साधनों का अविवेकपूर्ण दोहन, प्रदूषण के कोढ़ में खुजली का काम करती है।

Answered by rajnandanikumari33
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Explanation:

यह सर्वविदित सत्य है कि मानव की विभिन्न गतिविधियों के कारण भूमि, वायु, जल और उसमें निवास करने वाले जीवों के लिये खतरा उत्पन्न हो गया है। इस अवक्रमित वातावरण के कारण, बदले में मानव स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के लिये गम्भीर खतरा पैदा हो गया है। विकासशील देशों जैसे भारत में भोजन, जल और हवा में रोगाणु होने के कारण उत्पन्न जैविक संदूषण स्वास्थ्य के लिये एक भारी समस्या बना हुआ है। विषाक्त रसायनों और हानिकारक विकिरणों ने पहले से ही गम्भीर समस्याओं को स्वास्थ्य के लिये और अधिक कठिन बना दिया है। विकासशील योजनाओं के कारण पर्यावरण का प्रदूषित होना और उसके फलस्वरूप विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा हो रही हैं। उनमें से कुछ समस्याओं को इस पाठ में विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे।

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