ऐसा वाणी बोलिए मन का आपा खोई
औरन को शीतल करे आप हो शीतल होई।
इसका मतलब क्या है-
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कबीर ने अपने दोहे में वाणी यानि आपके मुँह से निकली बातों को अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने वाणी को सबसे ऊपर रखा है। महाकवि संत कबीर दास के दोहे में कहा गया है कि “ऐसी वाणी बोलिये मन का आपा खोय। औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होय।” अर्थात हमें ऐसी मधुर वाणी बोलनी चाहिए, जिससे दूसरों को शीतलता का अनुभव हो और साथ ही हमारा मन भी प्रसन्न हो उठे।
मधुर वाणी औषधि के सामान होती है, जबकि कटु वाणी तीर के समान कानों से प्रवेश होकर संपूर्ण शरीर को पीड़ा देती है। मधुर वाणी से समाज में एक – दूसरे के प्रति प्रेम की भावना का संचार होता है। जबकि कटु वचनों से सामाजिक प्राणी एक – दूसरे के विरोधी बन जाते है।
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iska meaning hota h
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aisi bt boliye jo sbko psnd aaye sabka man long le...
or Ko to khush kijiye AAP v khush ho jaye
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