Hindi, asked by shaziaelahi0408, 7 hours ago

aisi kahani atva ghatna ka narnan kijiye jo mitrta se sambandhit ho​

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Answered by astitwajha
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शाम के ठीक 7 बज रहे थे, आसमान में बाहर बादल छाये हुवे थे इसी वजह से राहुल आज ऑफिस से जल्दी निकल गया। वो आज बहुत खुश था अपनी नयी ऑडी कार को चलाने के लिए. कार के अंदर एक प्यारा सा गाना बज रहा था, उसे अचानक से पता नहीं क्यूँ ऐसा लगा जैसे वो कुछ जरुरी चीज़ भूल गया था.

उसने यहाँ वहां देखा लेकिन फिर उसी भूली हुई चीज़ को नजरअंदाज कर दिया। 5 मिनट बाद उसे एक फोन आया और उसने कार बंद कर दी ताकि वो इत्मीनान बात कर सके। जैसे ही वो कॉल खत्म हुआ तो, उसने कार की खिड़की से बाहर झाँका तो देखा कि उसने गलती से कार को अपने उसी पुराने अड्डे पर रोक दिया था जहाँ पर वो अपने यारो से मिलता था। उसने सड़क के किनारे कार पार्क की और चाचा के चाय स्टाल पर चला गया।

ये उसके पैर नहीं थे जो उसे वहां तक लाये थे बल्कि उसका दिल था जो उसे वहां खींचा ले आया था। अब उसका वो पुराना अड्डा उसे पुरानी यादो की तरफ वापस ले जा रहा था. उसके कुछ दोस्त थे अजीबो-गरीब जो हर दोस्तों के ग्रुप को हरा भरा बनाता हैं, जिसमे से कुछ ऐसे थे..

ग्रुप में एक दोस्त को कभी भी ये नहीं पता होता था जी आसपास चल क्या रहा हैं .. (आखिर वो ग्रुप में कर क्या रहा था?)

ग्रुप में एक दोस्त था जो किसी भी पार्टी, खाने या खेलने में पैसो वाली चीज़ में कभी कंट्रीब्यूट नहीं करता था लेकिन हाँ मज़े पूरे लेता था.. (भिखारी दोस्त!!)

ग्रुप में एक ऐसा भी दोस्त था जिसको सब उसके सरनेम से बुलाते थे.. (अरे, उसका पहला नाम था क्या? मैं भूल गया !!)

ग्रुप में एक दोस्त को बार-बार प्यार में पड़ने की अजीब आदत थी, उसे हर दुसरे दिन किसी ना किसी से प्यार हो जाता था .. (कैसे? मेरा मतलब है क्यों, लेकिन रुको, कैसे? वह मूर्ख था ऐसे और इसी वजह से भी..)

ग्रुप में एक दोस्त मोटू मल था जो कभी भी टाइम से खाना नहीं खाता था, जबकि कुछ ऐसे भी थे जो खाते खाते नहीं थकते थे लेकिन फिर भी ऐसे लगते थे जैसे कोई पतली डंडी भी उनसे मोटी दिखती हो.. (ओह हाँ, फैटी और खाना पकाने वाला …)

अंत में उसने याद किया कि, वो प्लानर था ग्रुप का जो किसी भी चीज़ के लिएसबसे पहले प्लान बनाता था, तभी उसे ध्यान आया जब वो ऑफिस से निकल रहा था उसी समय उसने अपने ग्रुप का फेवरेट गाना लगाया जो वो सभी उस टाइम पर सूना करते थे और यही वो चीज़ थी जो उसे कुछ भूलने का एहसास दिला रही थी, वो अपने दोस्तों को याद कर रहा था, उसके दिमाग में अभी भी वही सब बाते चल रही थी लेकिन अचानक पीछे से एक आवाज आई,

“अरे भाई राहुल! तुम? !! वाह, चौंका दिया यार तुमने तो? तुम इतने लंबे समय के बाद यहाँ आए हो। सीट लो और पहले ये बताओ की, मैं आपके पसंदीदा अदरक वाली चाय के साथ और क्या लेकर आऊं?” – छोटे से छोटू (वेटर) ने पूछा

उस छोटू के कहे हुवे शब्द उसके दिल के किनारे तक आए और उसे झंझोड़ दिया,

“दोस्तों का मेरा पुराना ग्रुप, दोस्त, वो ला सकते हो? !!”

लेकिन एक समझदार दिमाग के साथ उसने जवाब दिया,

कुछ नहीं, बस मुझे एक अदरक वाली चाय दोस्त दे दो।

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