Hindi, asked by sanjaygurjar0008, 19 days ago

अज्ञेय की कविता असाद्य वीणा का केंद्रीय भाव लिखिए​

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Answered by PinkVine
7

\underline\mathcal\blue{Answer}

परम सत्ता असीम और विराट है जबकि व्यक्ति सत्ता सीमित है। उस परम सत्ता से मिल जाने , उसे जान लेने की आकांक्षा हमेशा व्यक्ति सत्ता में रही है। अज्ञेय के यहाँ इस लंबी कविता में प्रियंवद(व्यक्ति सत्ता) एक लंबी साधना प्रक्रिया से गुजरता है। वह अपने आत्म(I) को उस परम सत्ता(thou) में विलीन कर देता है।

Answered by llFadedArmyForeverll
3

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\huge\mathcal{\fcolorbox{aqua}{azure}{\red{✿ʏᴏᴜʀ- ᴀɴsᴡᴇʀ ♡❖}}}

अज्ञेय की कविता असाद्य वीणा का केंद्रीय भाव लिखिए

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