अजगर करै न चाकरी, पंछी करै न काम' उक्ति किस कवि
की है?
ॐ
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संत मलूक कौशाम्बी, (वार्ता) “अजगर करे न चाकरी पंछी करै न काम । दास मलूका कह गए सब का दाता राम ।।” मध्य युगीन हिन्दी साहित्य में सन्त परम्परा की अन्तिम कड़ी के रूप में प्रसिद्ध सन्त शिरोमणि मलूक दास के दोहे मानवीय मूल्यों को स्थापित करने तथा सामाजिक सरसता को बनाये रखने में आज भी बहुत प्रासंगिक है।
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