Ak faisla dil ka aur Ak faisla dimag ka par Ak nibandh
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दिल जो सोचता है उसके पीछे को तथ्य या कारण नहीं होता। दिल की उडान बहुत दूर
तक होती है। इसमें रहकर आप कुछ निर्णय जल्दबाजी में ले लेते है जैसे दोस्ती कारण
या प्यार में पड़ना। जबकि दूसरी तरफ दिमाग हर बात को गहराई से समझ ने की कोशिस करता
है। उसमें वो योग्यता होती है, जो किसी भी समस्या को समझकर उसका हल निकाल सके। कुछ
लोगो पर सर्वे करने पर ये बात और भी पुख्ता हो जाती है। जिन लोगों ने दिल से फैसला
लिया कुछ देर बाद उनका फैसला बदल गया जबकि जिन लोगों ने दिमाग से निर्णय लिया वे
अपने निर्णय पर कायम रहे। अंतर केवल सोच की गहराई का था यदि आप किसी बात को
हर पहलू से सोचते है तो आपका निर्णय काफी हद तक सही होता है।
बिजनेस में दिमाग महत्वपूर्ण
एक अच्छा निर्णय लेने वाला भावनाओ
को ताक पर रखकर सोचता है। क्योंकि दिल से सोचना
व्यक्तिगत जीवन में तो फायदेमंद हो सकता है लेकिन प्रोफेसनल लाइफ में दिमाग का ही
सिक्का चलता है। काइनेटिक इंजिनियर लिमिटेड की ऍमडी, सुलजा फिरोदिया मोटवानी
का कहना है – ‘बिजनेस की दुनिया में कामयाब
मनेग्मेंट के लिए निर्णय लेना जरुरी है। मेरा मानना है की दिमाग से लिया गया
निर्णय बिजनेस को रफ़्तार देता है जबकि दिल भावनाओं को बढ़ाता है। बिजनेस में निर्णय
लेते समय केवल कीमत और मुनाफे को ध्यान में रखा जाता है।’
अपनी मानसिकता समझें –
आप अपने दिल से सोचें या दिमाग से यह आपकी मानसिकता पर निर्भर करता है।
मनोवैज्ञानिक डॉ. चेतन जैन का कहना है – ‘कुछ लोग या अन्य रिश्तों से जुड़े भावनात्मक निर्णय लेने की
योग्यता रखते है। ।क्योंकी इस तरह की निर्णयों को लेकर उनकी मानसिकता निश्चित होती
है जबकि कुछ लोग अपनी समझ और मानसिकता से सही निर्णय के लेते हैं। इसलिए आपके लिए
सबसे ज्यादा यह जरुरी है की पहले आप अपनी मानसिकता को समझें बाद में निर्णय लें।’ हममें से ज्यादातर लोग दो तरह
की मानसिकता वाले होते है। पहले वे जिनके दिमाग में हर स्थिति साफ़ होती है और वे
विश्लेष्णातक ।निर्णय ले लेते है। इनमें भी उथल-पुथल मची रहती है। दुसरे वे लोग
होते है, जो कल्पना में जीते हैऔर उसी को ध्यान में रखकर निर्णय लेते है। इनमें विचारक,
कलाकार, समाज सुधारक आदि शामिल होते है। इसलिए भविष्य में कोई निर्णय लेने से पहले
यह टी कर लें की आप किस श्रेणी में आते है
तक होती है। इसमें रहकर आप कुछ निर्णय जल्दबाजी में ले लेते है जैसे दोस्ती कारण
या प्यार में पड़ना। जबकि दूसरी तरफ दिमाग हर बात को गहराई से समझ ने की कोशिस करता
है। उसमें वो योग्यता होती है, जो किसी भी समस्या को समझकर उसका हल निकाल सके। कुछ
लोगो पर सर्वे करने पर ये बात और भी पुख्ता हो जाती है। जिन लोगों ने दिल से फैसला
लिया कुछ देर बाद उनका फैसला बदल गया जबकि जिन लोगों ने दिमाग से निर्णय लिया वे
अपने निर्णय पर कायम रहे। अंतर केवल सोच की गहराई का था यदि आप किसी बात को
हर पहलू से सोचते है तो आपका निर्णय काफी हद तक सही होता है।
बिजनेस में दिमाग महत्वपूर्ण
एक अच्छा निर्णय लेने वाला भावनाओ
को ताक पर रखकर सोचता है। क्योंकि दिल से सोचना
व्यक्तिगत जीवन में तो फायदेमंद हो सकता है लेकिन प्रोफेसनल लाइफ में दिमाग का ही
सिक्का चलता है। काइनेटिक इंजिनियर लिमिटेड की ऍमडी, सुलजा फिरोदिया मोटवानी
का कहना है – ‘बिजनेस की दुनिया में कामयाब
मनेग्मेंट के लिए निर्णय लेना जरुरी है। मेरा मानना है की दिमाग से लिया गया
निर्णय बिजनेस को रफ़्तार देता है जबकि दिल भावनाओं को बढ़ाता है। बिजनेस में निर्णय
लेते समय केवल कीमत और मुनाफे को ध्यान में रखा जाता है।’
अपनी मानसिकता समझें –
आप अपने दिल से सोचें या दिमाग से यह आपकी मानसिकता पर निर्भर करता है।
मनोवैज्ञानिक डॉ. चेतन जैन का कहना है – ‘कुछ लोग या अन्य रिश्तों से जुड़े भावनात्मक निर्णय लेने की
योग्यता रखते है। ।क्योंकी इस तरह की निर्णयों को लेकर उनकी मानसिकता निश्चित होती
है जबकि कुछ लोग अपनी समझ और मानसिकता से सही निर्णय के लेते हैं। इसलिए आपके लिए
सबसे ज्यादा यह जरुरी है की पहले आप अपनी मानसिकता को समझें बाद में निर्णय लें।’ हममें से ज्यादातर लोग दो तरह
की मानसिकता वाले होते है। पहले वे जिनके दिमाग में हर स्थिति साफ़ होती है और वे
विश्लेष्णातक ।निर्णय ले लेते है। इनमें भी उथल-पुथल मची रहती है। दुसरे वे लोग
होते है, जो कल्पना में जीते हैऔर उसी को ध्यान में रखकर निर्णय लेते है। इनमें विचारक,
कलाकार, समाज सुधारक आदि शामिल होते है। इसलिए भविष्य में कोई निर्णय लेने से पहले
यह टी कर लें की आप किस श्रेणी में आते है
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