अकाल किसान और भगवान के बीच बात ५० सद्ब में संबाद लीखे
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हमारी भारतीय संस्कृती खेती है। भारतीय किसान अनाज उगाके,हमारा पेट भरती है।
हम भगवान को मानते है,लेकीन भगवान पत्थरोमे नही होते।
जिस्का मन अच्छा हे ,जो सच्चे दिल से सबकी मदत करता हे,जो सब की बलाई चाहता हे,उसे हम भगवान मानकर ,हमारा गुरु मानकर उस्की हर अच्छे गुण हम आत्मसात कर सकते। वही अच्छे बाते हम दुसरी व्यक्ती कोभी बता सकते है।
हमारी माता पिता यह भगवान का रूप होते है ।वही हमारे पहिले गुरू होते हे।
किसान हल चला कर मेहनत करके ,उसकी तीमे बीच बोते हे।और हमारा पेट भरते है ।यह भगवान ही तो होते हे ।
हमारी माता हमे जनम ते कर ये दुनिया दिखाती है ।
वेभगवान हीतो होती है ।
भगवान पथरो मे नही, इंसानो मे होते है ।
उसे देखने की आंखे हमे चाहिये ।
और कुछ मदत हो तो बता देना ।
हम भगवान को मानते है,लेकीन भगवान पत्थरोमे नही होते।
जिस्का मन अच्छा हे ,जो सच्चे दिल से सबकी मदत करता हे,जो सब की बलाई चाहता हे,उसे हम भगवान मानकर ,हमारा गुरु मानकर उस्की हर अच्छे गुण हम आत्मसात कर सकते। वही अच्छे बाते हम दुसरी व्यक्ती कोभी बता सकते है।
हमारी माता पिता यह भगवान का रूप होते है ।वही हमारे पहिले गुरू होते हे।
किसान हल चला कर मेहनत करके ,उसकी तीमे बीच बोते हे।और हमारा पेट भरते है ।यह भगवान ही तो होते हे ।
हमारी माता हमे जनम ते कर ये दुनिया दिखाती है ।
वेभगवान हीतो होती है ।
भगवान पथरो मे नही, इंसानो मे होते है ।
उसे देखने की आंखे हमे चाहिये ।
और कुछ मदत हो तो बता देना ।
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