अकाल में क्या होता है क्या बाल और अकाली एक सिक्के के दो पहलू है
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Explanation:
सिक्के के दोनों पहलू एक दूसरे से जुड़ें होते हुए भी एक दूसरे के विपरीत होते है जिसमें एक का अस्तित्व दूसरे के बिना सम्भव नहीं होता है। हम अपने दैनिक जीवन में कई ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जो एक ही सिक्के के दो पहलू की तरह होते है तथा एक दूसरे से जुड़ें होने के साथ ही साथ एक दूसरे के विपरीत भी होते है जैसे अँधेरा-उजाला, सुख-दुःख, मिलना-बिछुड़ना, यश-अपयश इत्यादि।
शब्दों का एक दूसरे का पूरक होना
ऐसे शब्द एक दूसरे के पूरक की तरह होते है अर्थात एक के बिना दूसरे के अस्तित्व का कोई अर्थ नहीं रह जाता है जिसमें एक सकारात्मकता का तो दुसरा नकारात्मकता का बोध कराता है। ये शब्द हमें बताते है की हर सकारात्मक में कुछ न कुछ नकारात्मक भी छुपा हुआ होता है और हर नकारात्मक में कुछ न कुछ सकारात्मक भी छुपा हुआ होता है। ऐसे कुछ शब्दों का यहां हम विश्लेषण करते हैं।
1.अँधेरा-उजाला : जीवन में सभी व्यक्ति उजाले को ही पसंद करते हैं किसी को भी अँधेरा अच्छा नहीं लगता है। यदि व्यक्ति जीवन में उसके चाहें अनुसार ऐसी स्थिति आ भी जाये जिसमें केवल उजाला ही उजाला हो तथा अंधेरे का नाम मात्र का भी अस्तित्व नहीं हो तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को जीवन में उजाले का महत्व क्या होता है यह समझ में नहीं आयेगा। (यहाँ सकारात्मक में भी कुछ नकारात्मक छुपा हुआ है) अंधेरे का अस्तित्व हमें उजाले के महत्व को समझने में सहायता प्रदान करता है। इसी लिए कहते हैं की जो अंधेरे को देखता है वही उजाले को समझता है। (यहाँ नकारात्मक में भी कुछ सकारात्मक छुपा हुआ है)
2.सुख-दुःख : प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में सुख की ही कामना करता है तथा चाहता है की उसके जीवन पर दुःख की परछाई तक भी नहीं पड़ें। यदि ऐसी स्थिति किसी व्यक्ति के जीवन में वास्तव में आ भी जाये तो भी वह कभी सही ढंग से अपने जीवन में सुख का आनंद नहीं ले पायेगा। (यहाँ सकारात्मक में भी कुछ नकारात्मक छुपा हुआ है) जीवन में दुःख की अनुभूति हमें बताती है की सुख का आनंद क्या होता है। अतः बिना दुःख भोगें व्यक्ति अपने जीवन में सुख का आनंद भी सही ढंग से नहीं भोग पाता है। (यहाँ नकारात्मक में भी कुछ सकारात्मक छुपा हुआ है)
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