अक्सर हम या तो गुजरे हुए दिनों की खट्टी मीठी यादों में उलझे रहते हैं या भविष्य के रंगीन सपने
देखते रहते हैं। हम या तो भूतकाल में रहते हैं या भविष्य काल में। असल में दोनों काल मिथ्या हैं । एक
चला गया है, दूसरा आया नहीं है। हमारे सामने जो वर्तमान क्षण हैं, वही सत्य है। उसी में जीना चाहिए
| चाय पीते पीते उस दिन मेरे दिमाग से भूत और भविष्य दोनों काल उड़ गए थे। केवल वर्तमान क्षण
सामने था और वह भी अनंत काल जितना विस्तृत था [क] लेखक किस समय को मिथ्या कह रहे हैं और क्यों
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it looks like the poet failed in the exam, and thinks his future,past and present.
Explanation:
so poet is emotional and write it.
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