अक्षरों की िोज के साथ एक नये युग की िुरुआत हुई | आदमी अपने लिचारों और
लहसाब-ककताब को लििकर रिने िगा, तब से मानि को ‘सभ्य’ कहा जाने िगा | आदमीने जब से
लििना िुरू ककया तब से ‘इलतहास ’ आरंभ हुआ | ककसी भी जालत या देि का इलतहास तब से िुरू
होता है, जब से आदमी के लििे हुए िेि लमिने िगते हैं| इस प्रकार इलतहास को िुरू हुए मुलककि से
छ: हजार साि हुए हैं|
पररच्छेद को उलचत िीर्ाक दीलजए
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