अकबर के इबादत खाने ने उसके धार्मिक ज्ञान की तलाश को पूरा करने में किस प्रकार मदद की?
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इबादत खाना अथवा ’आराधना घर’, फतेहपुर सीकरी में अकबर द्वारा बनवाया गया एक प्रार्थना अथवा मीटिंग रूम था। मूल रूप से यह जगह सुन्नी मुस्लमानों के एकत्रित होने और चर्चा करने के लिए बनवाया गया था। हालांकि, अन्य धर्म संप्रदायों और अनुयायियों के बीच छोटे मतभेद नियंत्रण से बाहर होने पर यह कमरा सब के लिए खोल दिया गया।
शहर के स्थानीय लोगों और पर्यटकों को अकसर बहस और विचार विमर्श में भाग लेने के लिए इस कमरे में आमंत्रित किया जाता था। धार्मिक नेताओं और अपने साम्राज्य के दार्शनिकों तथा वहाँ से गुज़रने वालों को गुरुवार शाम को विचार विमर्श हेतु आने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था।
धार्मिक नेताओं और दार्शनिकों के मतभेद से परेशान अकबर ने दीन-ए-इलाही अथवा ’इश्वरीय आस्था’ नामक धर्म में विश् वास पैदा करके उनके बीच सुलह कराने का प्रयास किया। यह एक प्रशसनीय प्रयास था लेकिन जनता में इसका कोई भी अनुयायी नहीं मिला। हालांकि, अकबर के दरबार के कुछ कुलीन लोगों ने इसकी सदस्यता ली थी।