Hindi, asked by Singhmahender1103, 1 year ago

अकबर की सुलह -ए-कुल निती क्या थी

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Answered by bhatiamona
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Answer:

इस प्रश्न में गलती है। सही प्रश्न इस प्रकार होगा अकबर की सुलह-ए-कूटनीति क्या थी?

अकबर की सुलह-ए-कू़टनीति

जब महाराणा प्रताप मेवाड़ के शासक बने थे तो उस समय मेवाड़ की स्थिति अच्छी नहीं थी। मेवाड़ के अधिकांश हिस्सों पर मुगलों ने कब्जा कर रखा था। जितना भी मेवाड़ का शेष भाग रह गया थास महाराणा प्रताप ने उसे अपने शासनकाल में उचित शासन व्यवस्था से संवारा। अकबर इस भाग पर भी कब्जा करना चाहता था। मेवाड़ पर कब्जा करना चाहता था। लेकिन वो महाराणा प्रताप की वीरता और जुझारु शक्ति को जानता था। अकबर मेवाड़ में 1567-68 में हुए संघर्ष के भयंकर परिणाम से परिचित था। अब उसने महाराणा प्रताप से सीधे टकराने की बजाये अपनी कूटनीतिक चालों द्वारा उन्हे अधीन करने की सोची।

अकबर ने महाराणा प्रताप के पास क्रमशः जलाल खाँ कोरची, मानसिंह, भगवन्तदास और टोडरमल के रूप में चार अलग-अलग दूत सुलह करने को भेजे। लेकिन महाराणा प्रताप ने उन सब की चालों को समझते हुये उनकी किसी भी शर्त को स्वीकार नहीं किया। यही अकबर की सुलह-ए-कूटनीति थी।

Answered by Anonymous
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अकबर को मुग़ल का सर्वश्रेष्ठ राजा कहा जाता है वह ना सिर्फ शारीरिक बल्कि कूटनीतिक तौर पर भी एक अच्छे राजा माने जाते थे उनकी सुलह‌ - ए- कूटनीति थी अगर वह किसी राज्य पर बल से अधिकार नहीं जमा पाता था तब कूटनीति का इस्तेमाल कर वहां अपना विजय का परचम फहराते थे इसीलिए उन्होंने हिंदुओं तथा मुगलों के बीच समरसता फैलाने के लिए दीन ए इलाही धर्म की स्थापना की जिन का मुख्य उद्देश्य ईश्वर एक है था और उनके अनुसार बादशाह भी एक होना चाहिए

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