अकबर कैसा शासक था। उसके शासन की
प्रमुख विशेषतार बताईए
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अकबर एक बहादुर और शक्तिशाली शासक थे। उनका साम्राज्य पश्चिम में अफगानिस्तान से लेकर पूर्व में बंगाल तक और उत्तर में जम्मू से लेकर दक्षिण में मराठवाड़ा तक फैला था। उन्होंने गोदावरी नदी के आस-पास के सारे क्षेत्रो को हथिया लिया था और उन्हें भी मुग़ल साम्राज्य में शामिल कर लिया था। उनके अनंत सैन्यबल, अपार शक्ति और आर्थिक प्रबलता के आधार पर वे धीरे-धीरे भारत के कई राज्यों पर राज करते चले जा रहे थे। अकबर अपने साम्राज्य को सबसे विशाल और सुखी साम्राज्य बनाना चाहते थे इसलिए उन्होंने कई प्रकार की नीति अपनाई जिससे उनके राज्य की प्रजा ख़ुशी से रह सके।
उनका साम्राज्य विशाल होने के कारण उनमे से कुछ हिंदु धर्म के भी थे, उनके हितो के लिए उसने हिंदु सम्राटो की नीति को भी अपनाया और मुग़ल साम्राज्य में लागू किया। वे विविध धर्मो के बीच हो रहे भेदभाव को दूर करना चाहते थे। उनके इस नम्र स्वाभाव के कारण उन्हें लोग एक श्रेष्ठ राजा मानते थे और ख़ुशी-ख़ुशी उनके साम्राज्य में रहते थे। हिन्दुओं के प्रति अपनी धार्मिक सहिष्णुता का परिचय देते हुए उन्होंने उन पर लगा ‘जजिया’ नामक कर हटा दिया। अकबर ने अपने जीवन में जो सबसे महान कार्य करने का प्रयास किया, वह था ‘दिन-ए-इलाही’ नामक धर्म की स्थापना। इसे उन्होंने सर्वधर्म के रूप में स्थापित करने की चेष्टा की थी। 1575 में उन्होंने एक ऐसे इबादतखाने (प्रार्थनाघर) की स्थापना की थी, जो सभी धर्मावलम्बियों के लिए खुला था, वो अन्य धर्मों के प्रमुखों से धर्म चर्चायें भी किया करते थे।
अकबर एक महान शासक था वे अन्य मुगल राजाओं के मुकाबले का फीचर शासक था उसके वक्त में जजिया जैसे अन्य कई पर हटाए गए अकबर ने कई राजपूतों को हराया पर उनको उनके राज्य पर शासन करने की अनुमति दी उसने कई राजपूत राजकुमारी और उसने राजपूतों को बड़ी उपाधियां दी अगर मानता था कि सभी धर्म हमें शांति का पाठ पढ़ाते हैं और उसने एक नए धर्म की स्थापना करी जिसका नाम दीन ए इलाही था दीन ए इलाही को मानने वाला पहला व्यक्ति राजा बीरबल उसके बाद राजा मानसिंह थे अकबर के वक्त में पोसीआई तथा मध्य एशिया की कलाकृतियों के मेल से एक नया नए कलाकृति का जन्म हुआ अकबर ने फतेहपुर सिकरी को अपनी नई राजधानी बनाई अकबर के समय में नहीं संगीतकार जैसे मियां तानसेन थे उन्होंने हर राजदरबारी तथा राजदीपक जैसे हम राग का निर्माण किया अकबर की मृत्यु 1605 में हो गई वह एक अच्छा राजा था