Akal ek bhisan samasya niband lekhan
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भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ की लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि में जुड़ी हुई है। किसी भी क्षेत्र में कुछ महीने या कुछ साल तक बारिश न आने कि स्थिति को सूखा या अकाल कहते हैं। बारिश न आने कारण उस क्षेत्र में सूखा पड़ जाता है और भूखमरी और महामारी जैसी समस्या उत्पन्न होती है जिससे मृत्यु दर में वृद्धि होती है।
सूखा भी अलग अलग प्रकार का होता है जैसे कि कई बार मौसमी सुखा होता और कई बार सतह पर पानी के अभाव में सूखा होता है। अकाल होने की कारण मनुष्य की गतिविधियाँ ही है। मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए वनों की कटाई करता जा रहा है जिससे वर्षा में गिरावट आ रही है और सूखा पड़ रहा है। बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग से भी अकाल की समस्या बढ़ती जा रही है।
सूखा पड़ने के कारण मनुष्य और अन्य जीव जंतुओं का जीवन प्रभावित होता है। सूखे की वजह से फसले विफल हो जाती है और मनुष्य को खाने के लिए कुछ नहीं मिलता जिससे की भूखमरी पैदा हो जाती है। सुखे के समय सब्जी और फल आदि की कीमत बढ़ जाती है क्योंकि उस समय उत्पाद कम और माँग ज्यादा होती है। किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है क्योंकि उनकी फसल बारिश के पानी पर निर्भर करती है और बारिश न होने पर उनकी पूरे साल की मेहनत खराब हो जाती है। बहुत से उद्योग कृषि से मिलने वाले कच्चे माल पर निर्भर करते है और सूखे से उद्योगों को भी हानि पहुँचती है। सूखे की वजह से जंगलो में आग लगने के किस्सै भी बढ़ते जा रहे है और रहने वाले पशुओं का जीवन संकट में आ जाता है।
सूखे के कारण सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को ही होता है क्योंकि उनकी फसल पूरी तरह खराब हो जाती है। किसानों को चाहिए कि वह ट्यूबवैल आदि का प्रबंध रखे ताकि सिंचाई के लिए उन्हें बारिश के पानी पर ही निर्भर न रहना पड़े। सरकार भी फसल खराब होने पर किसानों को हर्जाने के रूप में नगद पैसे देती है। लोग नकली बारिश भी करवाने में संभव है।
मनुष्य को चाहिए कि वह वातावरण को नुकसान न पहुँचाए। पेड़ काटने की बजाय ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए और वाहन आदि का कम प्रयोग करे जिससे कि प्रदुषण न हो और ग्लोबल वार्मिंग भी न हो। मनुष्य के अपने हाथ में है पर्यायवरण को सरंक्षित रखना और सूखे या अकाल की समस्या को दुर करना।