Akalmand aur mandabuddhi me kya antar h?
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भारतीय समाज में आटिज्म और मंदबुद्धि बालक की पहचान में कई बार गलतियां होती है। सामान्य तरीके से देखने पर मंदबुद्धि और आटिज्म में कोई विशेष अंतर समझ में नहीं आता है। आज का दौर वो दौर है जब किसी भी चीज के बारे में तुरंत बोलना होता है, जबकि मंदबुद्धि या आटिज्म के शिकार बालक बहुत देर में प्रतिक्रिया देते हैं या नहीं देते हैं। आटिज्म के इलाज को लेकर भारत के ग्रामिण इलाकों में अभी कुछ खास जागरुकता नहीं है। शहरों में तो आटिज्म के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है।
भारतीय समाज में आटिज्म और मंदबुद्धि बालक की पहचान में कई बार गलतियां होती है। सामान्य तरीके से देखने पर मंदबुद्धि और आटिज्म में कोई विशेष अंतर समझ में नहीं आता है। आज का दौर वो दौर है जब किसी भी चीज के बारे में तुरंत बोलना होता है, जबकि मंदबुद्धि या आटिज्म के शिकार बालक बहुत देर में प्रतिक्रिया देते हैं या नहीं देते हैं। आटिज्म के इलाज को लेकर भारत के ग्रामिण इलाकों में अभी कुछ खास जागरुकता नहीं है। शहरों में तो आटिज्म के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है। आटिज्म की बीमारी का सफल इलाज भी संभव रहा है। उदाहरण के तौर पर देखा जाय तो भारत सहित विश्व के कई बड़े अभिनेता अपने बचपन में आटिज्म के शिकार रहे हैं। अब सवाल ये उठता है कि आटिज्म और मंदबुद्धि बालक की पहचान कैसे की जाए ? आइए जानते हैं आटिज्म और मंदबुद्धि के बीच मुख्य अंतर के बारे में ......
आटिज्म क्या है ?
किसी भी विषय वस्तु या बात को धीरे समझना, किसी के पुकारने पर कोई प्रतिक्रिया न देना, अपने घर-परिवार में अलग-अलग रहना, रफ्तार, दिशा और ऊंचाई के बारे में अनुमान लगाने में गलती करना, अपने आप में ही खोये रहना जैसे लक्षण आटिज्म के माने जाते हैं।
मंदबुद्धि बालक की पहचान कैसे करें
भारत में मानसिक स्वास्थ्य विधेयक के अनुसार आटिज्म भी मंदबुद्धि श्रेणी में आता है। मंदबुद्धि बालक एक तरह से इंटलेक्चुअल डिसएबेलिटी का शिकार होता है जबकि आटिज्म की बीमारी बिल्कुल अलग है। आटिज्म के शिकार बालक को इस विकार से बाहर निकाला जा सकता है जबकि मंदबुद्धि बालक को इस परेशानी से वापस सही करना मुश्किल काम है। मंदबुद्धि बालक एक तरह से मानसिक विकलांगता का शिकार होता है। इसकी जगह अगर आटिज्म को देखें तो ये एक तरह का विकार है जो अभिभावक, शिक्षक और एक्सपर्ट्स की मदद से ठीक किया जा सकता है।
वर्ल्ड ऑटिज़्म डे- आटिज्म के शिकार बच्चों की देखभाल करने के 6 टिप्स।
How To Identify a mentally retarded Child
आटिज्म और भारत
भारत में आटिज्म को लेकर बहुत ज्यादा जागरूकता न होने की वजह से बहुत से लोग इस विकार के पूरे जीवनकाल तक शिकार रहते हैं। एक अनुमान के अनुसार देश में 1.5 करोड़ से ज्यादा बच्चे आटिज्म के शिकार हो सकते हैं। आटिज्म को आटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर के नाम से भी जाना जाता है। आटिज्म मुख्यतः तीन स्तर का होता है। आटिज्म को लेकर भारत में हाल के वर्षों में जागरूकता बढ़ी है।
आटिज्म के बारे में क्या कहते है एक्सपर्ट्स
आटिज्म के बारे में एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन उचित मार्गदर्शन और सही दिशा में किया गया प्रयास आटिज्म के रोगी को बहुत हद तक ठीक कर सकता है। आटिज्म का इलाज भी भारत की सामान्य आबादी के हिसाब से देखा जाय तो बहुत मंहगा है। आटिज्म को लेकर एक बात और सामने आती है कि बढ़ते प्रदूषण की वजह से भी गर्भ में पल रहे बच्चे के दिमागी विकास पर असर पड़ रहा है। कई बार तो यह भी पाया गया है कि धूम्रपान करने वाली महिला के बच्चे इस विकार के शिकार हो जाते हैं।
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akalmand kisi bhi pareshani mein shant rhkr k hal nikalta hai jabki mandbuddhi sirf darta hai aur sochta reh jata hai