Hindi, asked by Anonymous, 9 months ago

akarmanya ke liye vakyansh likhiye​

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Answered by kousar6
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AKARMANYA

२. हिंदुस्तान के उत्तरी या प्रधान भाग की भाषा जिसके अंतर्गत कई बोलियाँ हैं और जो बहुत से अंशों से सारे देश की एक सामान्य भाषा मानी जाती है । विशेष—मुसलमान पहले पहल उत्तरी भारत में ही आकर जमे और दिल्ली, आगरा और जौनपुर आदि उनकी राजधानियाँ हुई । इसी से उत्तरी भारत में प्रचलित भाषा को ही उन्होंने 'हिंदवी' या 'हिंदी' कहा । काव्यभाषा के रूप में शौर- सेनी या नागर अपभ्रंश से विकसित भाषा का प्रचार तो मुसल- मानों के आने के पहले ही से सारे उत्तरी भारत में था । मुसलमानों ने आकर दिल्ली और मेरठ के आसपास की भाषा को अपनाया और उसका प्रचार बढ़ाया । इस प्रकार वह भी देश के एक बड़े भाग की शिष्ट बोलचाल की भाषा हो चली । खुसरो ने उसमें कुछ पद्यरचना भी आरंभ की जिसमें पुरानी काव्यभाषा या ब्रजभाषा का बहुत कुछ आभास था । इससे स्पष्ट है कि दिल्ली और मेरठ के आसपास की भाषा (खड़ी बोली) को, जो पहले केवल एक प्रांतिक बोली थी, साहित्य के लिये पहले पहल मुसलमानों ने ही लिया । मुसलमानों के अपनाने से खड़ी बोली शिष्ट बोलचाल की भाषा तो मानी गई, पर देश को साहित्य की सामान्य काव्यभाषा वह ब्रज (जिसके अंतर्गत राजस्थानी भी आ जाती है) और अवधी रही । इस बीच में मुसलमान खड़ी बोली को अरबी फारसी द्वारा थोड़ा बहुत बराबर अलंकृत करते रहे, यहाँ तक कि धीरे धीरे उन्होंने अपने लिये एक साहित्यिक भाषा और साहित्य अलग कर लिया जिसमें विदेशी भावों और संस्कारों की प्रधानता रही । ध्यान देने की बात यह है कि यह साहित्य तो पद्यमय ही रहा, पर शिष्ट बोलचाल की भाषा के रूप में खड़ी बोली का प्रचार उत्तरी भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक हो गया । जब अँगरेज भारत में आए, तब उन्होंने इसी बोली को शिष्ट जनता में प्रचलित पाया । अतः उनका ध्यान अपने सुबीते के लिये स्वभावतः इसी खड़ी बोली की ओर गया और उन्होंने इसमें गद्य साहित्य के आविर्भाव का प्रयत्न किया । पर जैसा ऊपर कहा जा चुका है, मुसलमानों ने अपने लिये एक साहित्यिक भाषा उर्दू के नाम से अलग कर ली थी । इसी से गद्य साहित्य के लिये एक ही भाषा का व्यवहार असंभव प्रतीत हुआ ।

Answered by anshkatiyar1
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Answer:

Mujhe nahi pata

Explanation:

fxhjdbvjdb sj

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