Hindi, asked by manridh6, 4 months ago

अकथ कहानी प्रेम की ,कहत कहि न जाय , गूंगे केरी सरकरा, खाय और मुसकाय।

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Answered by yparul900
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Answer:

  1. यहाँ समुन्दर परमात्मा की विराटता तथा नोन (नमक )की कठपुतली आत्मा का प्रतीक है। नमक की डली की नमकीनियत भी परमात्मा से ही है। नमक प्राप्त ही समुन्दर से होता है। उस समुन्दर की थाह नोन की डली ,नोन की गुडिया कैसे ले सकती है जो उसी का अंश है।जो परमात्मा की याद में गोते लगाता है वह यादों के समन्दर की तलहटी तक कभी नहीं पहुंच पाता है बीच में ही उसका मैं उसका होना उसका बींग उसकी इज नेस उसका अहंकार समाप्त हो जाता है।वह खुद उस सिमरनी का एक मनका बन जाता है।जो उसके प्रेम में डूबने के लिए लोग जपते हैं। यहाँ अद्वैत के दर्शन हैं। दो का अभाव है एक ही की परम सत्ता की भासना है। जल में कुम्भ कुम्भ में जल है ऊपर नीचे पानी।
  2. यहाँ समुन्दर परमात्मा की विराटता तथा नोन (नमक )की कठपुतली आत्मा का प्रतीक है। नमक की डली की नमकीनियत भी परमात्मा से ही है। नमक प्राप्त ही समुन्दर से होता है। उस समुन्दर की थाह नोन की डली ,नोन की गुडिया कैसे ले सकती है जो उसी का अंश है।जो परमात्मा की याद में गोते लगाता है वह यादों के समन्दर की तलहटी तक कभी नहीं पहुंच पाता है बीच में ही उसका मैं उसका होना उसका बींग उसकी इज नेस उसका अहंकार समाप्त हो जाता है।वह खुद उस सिमरनी का एक मनका बन जाता है।जो उसके प्रेम में डूबने के लिए लोग जपते हैं। यहाँ अद्वैत के दर्शन हैं। दो का अभाव है एक ही की परम सत्ता की भासना है। जल में कुम्भ कुम्भ में जल है ऊपर नीचे पानी।
  3. परमात्मा के प्रेम की कथा वर्रण से परे है। हरि अनंत हरि कथा अनंता। सारे समुन्दरों की स्याही और वनों की कलम बनाके भी इस वेलेंटाइन की प्रेम गाथा लिखी जाए तो कोई महाकवि लिख न सके।
  4. परमात्म प्रेम अनुभूति और भाव गंगा का विषय है। अनुभव की बात है। मीठे से भी मीठा है उसका स्वाद गूंगे के गुड़ सा ,गूंगे की शक्कर सा खाय और खुद मीठा हो मुसकाय स्वाद कहा न जाए। जो परमात्म भक्ति ईश्वर प्रेम का स्वाद चख लेता है उसे फिर कोई और सांसारिक पदार्थ आकर्षित नहीं करता है।उसके अन्दर अन्दर प्रेम मोदक फूटते रहतें हैं वह मुस्काता रहता है गूंगे की तरह बयाँ नहीं कर सकता उस अ -वरणीय परम अनुभूत सुख को। व्यक्ति गूंगा हो जाता है। मौन पराकाष्ठा होती है प्रेम की। प्रेम उत्कर्ष की।जहां सिर्फ परमानंद ही शेष रह जाता है।
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