Hindi, asked by danwinsajith, 3 months ago

akelapan speech in hindi​

Answers

Answered by akshrajain30aug2007
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Explanation:

पॉडकास्ट आपको सकारात्मकता के साथ जीवन जीने में मदद करेगा। यह न केवल आत्म प्रेरणा के बारे में बात करता है, लेकिन कैसे एक सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीवन जीने के बारे में बात करता है। यह पॉडकास्ट आपको नकारात्मकता से लड़ने और जीवन में एक मकसद ढूंढने में मदद करेगा, इसलिए यह एक प्रेरक पॉडकास्ट कहा जाता है। यह पॉडकास्ट आपको निराशाजनक विचारों से दूर जाने में मदद करेगा। यह आपको वह प्रेरणा देता है जिसकी आप में कमी है और सकारात्मक उर्जा जो आप चाहते हैं। हम समझते हैं कि हमारे उपयोगकर्ता भावनात्मक रूप से ऑडियो के साथ अधिक कनेक्ट करते हैं जब यह उनकी भाषा में होता है। इसलिए, हम हिंदी, गुजरती, तेलुगू, मराठी, बांग्ला आदि जैसी विभिन्न भाषाओं में विभिन्न प्रकार के प्रेरक पॉडकास्ट प्रदान करते हैं। अब भाषा कभी भी आपके मनोरंजन में बाधक नहीं होगी। ये प्रेरक पॉडकास्ट मुफ्त में उपलब्ध हैं और हमारे ऐप पर डाउनलोड किए जा सकते हैं। और सबसे अच्छी बात यह है कि आप इसे यात्रा करते समय, जिम में काम करते समय, और कुछ भी काम करते समय, इसे किसी भी समय - सुबह जल्दी या देर रात में सुन सकते है । इसलिए, विज्ञापन-मुक्त अनुभव को स्ट्रीम करें, डाउनलोड करें और आनंद लें।

Answered by ranjeetsingh76979
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Explanation:

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. सोशल एनिमल है. यानी वो अकेले ज़िंदगी बसर नहीं कर सकता. लोगों से घुलना-मिलना, उनके साथ वक़्त बिताना, पार्टी करना और मिल-जुलकर जश्न मनाना हमारी फ़ितरत भी है और ज़रूरत भी.

इसके विपरीत, अगर कोई अकेला रहता है, लोगों से मिलता-जुलता नहीं, उसके साथ वक़्त बिताने वाले लोग नहीं हैं, तो इसे एक बड़ी परेशानी समझा जाता है.

यही वजह है कि अकेलेपन को सज़ा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है. लोगों को जेलों में अकेले क़ैद करके रखा जाता है. दिमाग़ी तौर पर बीमार लोगों को ज़ंजीरों से बांधकर अकेले रखा जाता है.

अकेलापन इस क़दर ख़तरनाक है कि आज तमाम देशों में अकेलेपन को बीमारी का दर्जा दिया जा रहा है. अकेलेपन से निपटने के लिए लोगों को मनोवैज्ञानिक मदद मुहैया कराई जा रही है.

तो, क्या वाक़ई अकेलापन बहुत ख़तरनाक है और इससे हर क़ीमत पर बचना चाहिए?

बहुत से लोग इसका जवाब ना में देना पसंद करते हैं. उन्हें पार्टियों में, किसी महफ़िल में या जश्न में शरीक़ होना हो, तो वो कतराने लगते हैं. महफ़िलों में जाना नहीं चाहते. लोगों से मिलने-जुलने से बचते हैं.

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