.. अखबार के साथ कौन-कौन से लोग जुड़े रहते हैं?
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Explanation:
पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट का हमारे पेशे को लेकर यह कथन मुझे बहुत माकूल लगता है.
अप्रैल 1904 में, रूजवेल्ट ने कहा:
वह आदमी जो लिखता है, जो महीने-दर-महीने, हफ्ते-दर-हफ्ते, दिन-रात असबाब जुटाकर लोगों के विचारों को शक्लो-सूरत देता है, दरअसल वही आदमी है जो किसी अन्य व्यक्ति की बनिस्पत, लोगों के व्यक्तित्व या सिफत को तय करता है और साथ-साथ यह भी, कि वे किस तरह के निजाम के काबिल है.
इसका मतलब हुआ पत्रकारों पर महान दायित्व है. जो पत्रकार महीने-दर-महीने, हफ्ते-दर-हफ्ते, दिन-रात साजो-सामान जुटाकर नेताओं को बिना किसी किस्म की जवाबदेही के अपनी कुर्सी पर बनाए रखने के लिए लेख पर लेख लिखते हैं, या फलां नेता या फलां सरकार के गुणगान करने में रात-दिन एक कर देते हैं, या, उनकी काली करतूतों के खिलाफ सबूतों को नजरंदाज करते हैं, ऐसे पत्रकार दरअसल भ्रष्टाचारी, जन-विरोधी और अनैतिक सरकारों के हिमायतियों की गिनती में आते हैं.
ऐसे पत्रकार टीवी माध्यम के प्राइमटाइम एंकर, अखबार के संपादक या बीट रिपोर्टर में से कोई भी हो सकते हैं. समूचे इतिहास में राजनेताओं और सत्ता में बैठे तमाम महानुभाव मीडिया और पत्रकारों को पालतू बनाने को जरूरी मानते आए हैं क्योंकि उनके पास वह ताकत है जिसकी शिनाख्त रूजवेल्ट ने अपने कथन में की थी. कुछ देशों में, अन्य देशों के मुकाबले राजनेता — मीडिया और पत्रकारों को वश में रखने में ज्यादा कामयाब रहे हैं. लेकिन सत्ता पर काबिज एक शक्तिशाली व्यक्ति किसी पत्रकार को किस हद तक वश में कर सकता है, यह बात बहुत हद तक उस पत्रकार विशेष पर भी निर्भर करती है.
में जुड़ी। plz mark me as brainlist