CBSE BOARD XII, asked by akash95664, 6 months ago



अखबारों और पत्रिकाओं पर आपातकाल का क्या प्रभाव पड़ा​

Answers

Answered by FLUNKY
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Answer:

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कॉलेज में पढ़ते थे । सत्रह -अठारह साल की उमर थी । उस छोटे ज़िले में लिखने पढ़ने का माहौल था। इस कारण स्थानीय अखबारों के साथ पत्रकारिता की एकदम कच्ची शुरुआत थी। दिन भर कॉलेज की कक्षाएं।शाम को अख़बारों के दफ्तरों में छोटी- छोटी ख़बरें बनाना। मैं 'प्रचंड ज्वाला' में जाया करता था। कभी दिन में कॉलेज की छुट्टी होती तो रिपोर्टिंग भी कर लेते थे। जिस रात आपातकाल लगा तो सभी अख़बारों को ज़िला कलेक्टर का फरमान मिला।क़रीब- क़रीब हर समाचार का एप्रूवल एडीएम से लेना ज़रूरी था।

स्थानीय समाचार पत्र 'प्रचंड ज्वाला' में एक दिन ख़बर छपी। जिला अस्पताल में बहुत अव्यवस्थाएं थीं। उनकी आलोचना समाचार पत्र में थी। वह समस्या मूलक ख़बर थी इसलिए संपादक श्याम किशोर अग्रवाल ने छापी थी। उनके सहयोगी सुरेंद्र अग्रवाल भी थे।  ख़बर प्रकाशित होते ही हड़कंप मच गया। कलेक्टर का पारा सातवें आसमान पर। पुलिस अधीक्षक ने मामला तो दर्ज़ कर लिया लेकिन ख़बर सच थी। वे ख़ुद भी सहमत थे। संपादक श्याम को बुलाकर कहा ,अंडरग्राउंड हो जाओ। कुछ बचाव कर लो।मैं गिरफ़्तार नहीं करना चाहता। '

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Answered by nsharma96417
2

Answer:

आपातकाल के दौरान मीडिया पर सेंसरशिप लागू कर दी गयी थी, यहाँ तक की 25 जून की रात अखबार वालों की बिजली तक काट दी थी ताकि कुछ ऐसा वैसा ना छाप सके जो सरकार के खिलाफ हो। उस दौरान कई अखबारों और पत्रिकाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था । ... इस तरह से कुछ ना बोलते हुए कुछ अन्य अख़बारों ने भी अपने संपादकीय को खाली छोड़ा था ।

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