Hindi, asked by souravraj4099, 5 months ago

Akhbar aur patrikayo par apaapkaal ka prabhav

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Answered by jones65
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ᗷᕼᗩI ᒪOᘜ ᗷᗩᗪᗴ ᗩᗯᗴՏOᗰᗴ TᕼᗩIᑎ ᑌᑎᒪOᘜO ᑎᗴ ᒪᑌᗪO ᑕᕼᗴՏՏ ᗩᑌᖇ ᑕᗩᖇᖇOᗰ IᑎᐯᗴᑎT KIYᗩ Tᕼᗩ

Answered by adityadey578
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कॉलेज में पढ़ते थे । सत्रह -अठारह साल की उमर थी । उस छोटे ज़िले में लिखने पढ़ने का माहौल था। इस कारण स्थानीय अखबारों के साथ पत्रकारिता की एकदम कच्ची शुरुआत थी। दिन भर कॉलेज की कक्षाएं।शाम को अख़बारों के दफ्तरों में छोटी- छोटी ख़बरें बनाना। मैं 'प्रचंड ज्वाला' में जाया करता था। कभी दिन में कॉलेज की छुट्टी होती तो रिपोर्टिंग भी कर लेते थे। जिस रात आपातकाल लगा तो सभी अख़बारों को ज़िला कलेक्टर का फरमान मिला।क़रीब- क़रीब हर समाचार का एप्रूवल एडीएम से लेना ज़रूरी था।

स्थानीय समाचार पत्र 'प्रचंड ज्वाला' में एक दिन ख़बर छपी। जिला अस्पताल में बहुत अव्यवस्थाएं थीं। उनकी आलोचना समाचार पत्र में थी। वह समस्या मूलक ख़बर थी इसलिए संपादक श्याम किशोर अग्रवाल ने छापी थी। उनके सहयोगी सुरेंद्र अग्रवाल भी थे। ख़बर प्रकाशित होते ही हड़कंप मच गया। कलेक्टर का पारा सातवें आसमान पर। पुलिस अधीक्षक ने मामला तो दर्ज़ कर लिया लेकिन ख़बर सच थी। वे ख़ुद भी सहमत थे। संपादक श्याम को बुलाकर कहा ,अंडरग्राउंड हो जाओ। कुछ बचाव कर लो।मैं गिरफ़्तार नहीं करना चाहता। '

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