Akta mein bal per anuchad hindi mein answer
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जहाँ बच्चों को अपने स्कूल के दिनों के दौरान एकजुट रहने के महत्व को सिखाया जाता है वही उन्हें इसका अभ्यास करने के लिए सही तरह का पर्यावरण मुहैया नहीं कराया जाता है। आज की दुनिया में इतनी ज्यादा प्रतिस्पर्धा है कि लोग "एकता में बल है" की अवधारणा को भूल गए हैं। वे केवल सफलता के पीछे भाग रहे हैं और अपने साथियों को एक ही बाधा के रूप में देख रहे हैं। प्रतियोगिता स्कूल स्तर से ही शुरू होती है। उस समय जब बच्चों की परवरिश अच्छे नैतिक मूल्यों से की जानी चाहिए तो उस वक़्त उनके माता-पिता उनकी तुलना उनके सहपाठियों, चचेरे भाईयों और दोस्तों के साथ करने में व्यस्त रहते हैं। वे लगातार अपने बच्चों के बारे में सोचते हैं और दूसरों से आगे बढ़ने के लिए उन पर दबाव डालते हैं और इसलिए ये सभी बच्चे सिर्फ इसी बात के बारे में सोचते हैं कि उन्हें अपने साथियों से आगे बढ़ना है। अपने सहपाठियों और दोस्तों के साथ घुलने-मिलने की बजाए वे उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वियों के रूप में देखते हैं और आगे बढ़ने के अवसरों की तलाश में रहते हैं।
समय के साथ यह रवैया मजबूत हो जाता है। कॉर्पोरेट कार्यालयों या अलग-अलग पेशों में इन दिनों सभी चीजों के लिए प्रतियोगिता बेहद कठिन हो गई है। यहां तक कि अगर किसी परियोजना को एक टीम के सभी सदस्य सँभालते हैं तो सभी एक टीम के रूप में काम करने और उस पर ध्यान केंद्रित करने की बजाए क्रेडिट लेने की कोशिश करते हैं।
निष्कर्ष
ऐसी परिस्थितियां होती हैं जब हमें अकेले कार्य करने की आवश्यकता होती है और दूसरों को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए सहायता करनी पड़ती है। हमें उस समय के दौरान तदनुसार कार्य करना चाहिए। हालांकि हमें दूसरों के प्रति प्रतिद्वंद्विता की भावना पैदा नहीं करनी चाहिए।
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