अलाभकारी संस्थाओं का आशय स्पष्ट कीजिए l
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अलाभकारी संस्थाओ से आशय ऐसे संस्थानों से है जिनका प्रयोग सामाजिक कल्याण के लिए होता है तथा जिनका उद्देश्य लाभ से प्रेरित होना नहीं होता है। इनका मुख्य उद्देश्य किसी विशिष्ट समूह या समस्त जनता को सेवाएँ प्रदान करना होता है। आमतौर पर यह किसी प्रकार का उत्पादन , क्रय - विक्रय और उधार लेन - देन नहीं करती। इसीलिए इनको लेखापुस्तकों तथा लाभ - हानि खाता बनाने की आवश्यकता नहीं होती। इन संस्थानों द्वारा बनाई गई निधि पूँजी निधि अथवा सामान्य निधि में जमा की जाती है। इनकी आय का मुख्य स्रोत, इनके सदस्यों से प्राप्त अनुदान अथवा दान , सहायता विनिवेश से प्राप्त आय इत्यादि होती है। प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर यह वित्तीय विवरण तैयार करती है तथा अपनी वित्तीय स्तिथि के लिए आय तथा व्यय विवरण तैयार करती है और उन्हें वैधानिक प्राधिकरण में जमा करवाती है जिसे समिति पंजीकृत कहा जाता है।
वे संस्थाये जिनका उद्देश्य लाभ कमाना नहीं बल्कि अपने सदस्यों, कर्मचारियों एवं समाज को कोई निश्चित सेवा,
मनोरंजन अथवा उनके हितों की रक्षा करना होता है अलाभकारी संस्थायें कहलाती हैं। जैसेः- धार्मिक संस्थायें,
दानार्थ संस्थायें, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समितियाँ इत्यादि। इस प्रकार की संस्थाओं में ऐसे व्यक्तियों को
शामिल किया जाता है जो सेवायें प्रदान करके आय भी अर्जित करते हों।