Hindi, asked by daku2454040, 7 months ago

अलंकार के कितने भेद होते हैं?
1 point
दो
चार
पांच ​

Answers

Answered by manishadevibxr
11

शब्दालंकार

जो अलंकार शब्द के माध्यम से शब्दों पर आधारित होते हैं उनको शब्दालंकार कहा जाता है. सीधे तौर पर इसकी परिभाषा आपको शायद समझ में ना आए या आए तो मुश्किल से आए लेकिन हम आपको नीचे इसके प्रकार बताएंगे. जब हम आपको इसके प्रकार बताएंगे तो यह आपको बहुत ही जल्दी आसानी से समझ में आ जाएगी. तो इसके प्रकार हम नीचे बता रहे तो देखिए.

(क) अनुप्रास अलंकार – जिस वाक्य में एक ही वर्ण की बार बार आवर्ती हो उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं जैसे कि हमने आपको पर बताया था कि किसी वाक्य को सुंदर बनाने के लिए अलंकार का इस्तेमाल किया जाता है. इस अलंकार में एक ही वर्ण की बार-बार आवृत्ति होती है. जिससे कि वाक्य सुनने में अच्छा लगता है. और वह वाक्य जब हम बोलते हैं. तो वह बोलने में भी अच्छा लगता है. जैसे उदाहरण के लिए.

चंचल की चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही है जल थल में

अब इसमें आप देख सकते हैं. कि इस उदाहरण में च वर्ण की आवर्ती बार-बार हो रही है जिससे कि यह वर्ण वाक्य की शोभा को बढ़ा रहा है तो यह अनुप्रास अलंकार हैं. आपको समझ में आ गया होगा कि अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं. अब शब्दालंकार के दूसरे भाग की बात करते हैं.शब्दालंकार का दूसरा भाग है. यमक अलंकार

(ख) यमक अलंकार – जैसा कि ऊपर हमने आपको बताया कि अनुप्रास अलंकार में एक वर्ण की आवृत्ति बार बार होती है. लेकिन यमक अलंकार में एक पूरे शब्द की आवर्ती बार-बार होती है. जैसे कि

कनक कनक ते सौ गुनी,मादकता अधिकाय,

वह खाए बौराय नर, यह पाए बौराय !

काली घटा का घमंड घटा

तो अब आप इसमें देख सकते हैं कि इस वाक्य में घटा शब्द की बार-बार आवर्ती हो रही है. तो यह यमक अलंकार है.अब आप को समझ में आ गया होगा कि यमक अलंकार किसे कहते हैं. तो अब हम आपको इसके तीसरे भाग के बारे में बताएंगे शब्दालंकार का तीसरा भाग कौन सा होता है. श्लेष अलंकार यह शब्दालंकार का तीसरा प्रकार भाग होता है.

(ग) श्लेष अलंकार – यह अलंकार अनुप्रास अलंकार और यमक अलंकार दोनों से अलग होता है. इस अलंकार में एक ही शब्द के अनेक अर्थ होते हैं.यानी शब्द एक जैसा होगा लेकिन उसके अर्थ अलग-अलग होंगे तो उसे हम श्लेष अलंकार कहते हैं. उदाहरण के लिए जैसे.

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून

अब आप इस बारे में देख सकते हैं कि पानी शब्द दो बार लिया गया है और दोनों बार इस शब्द का अर्थ अलग है. एक पानी शब्द का अर्थ है विनम्रता और दूसरे पानी शब्द का मोती और मनुष्य अब आपको शब्दालंकार के बारे में समझ में आ गया है.

अब हम आपको नीचे अलंकार के दूसरे भाग अर्थालंकार के बारे में बताएंगे अर्थालंकार क्या होता है.

2. अर्थालंकार

जब किसी वाक्य की किसी शब्द की या किसी भी तरह के लेखन की अर्थ के आधार पर शोभा बढ़ाई जाती है. उसके अर्थ के हिसाब से उसको सुंदर बनाया जाता है. उस को अच्छा बनाया जाता है. तो उसे अर्थालंकार कहा जाता है.

अर्थालंकार के भेद

अर्थालंकार के मुख्य रूप से पांच भेद होते हैं

1.उपमा अलंकार जब किसी चीज की दूसरी किसी विशेष चीज के साथ तुलना की जाती है तो उसे उपमा अलंकार कहां जाता है जैसे

पीपर पात सरिस मन डोला

हरि पद कोमल कमल

इस वाक्य में हरि के पैरों की कमल के फूल से तुलना की गई है. हरी के पैरों को इतना कोमल बताया गया है. कि वह कमल के फूल के समान कोमल है तो यह उपमा अलंकार है.अर्थालंकार का दूसरा भेद होता है रूपक अलंकार

2.रूपक अलंकार किसी चीज के गुण या उसके रूप की समानता दूसरी चीज के गुण या उसके चीज के रूप से की जाती है. या इसमें दो वस्तुओं को एक दूसरे का रूप दे दिया जाता है. तो उसे रूपक अलंकार कहते हैं. जैसे.

पायो जी मैंने प्रेम रतन धन पायो

चरण-कमल बंदौं हरि राई !

अब इस वाक्य में प्रेम को धन का रुप दिया गया है या प्रेम के गुणों को धन के गुणों के समान माना गया है. तो यह रूपक अलंकार है.

3.उत्प्रेक्षा अलंकार उत्प्रेक्षा अलंकार में उप में में उपमान की होने की कल्पना की जाती है.

सिर फट गया उसका वहीं

मानो अरुण रंग का घडा !

मुख मानो चंद्रमा है

इस अलंकार में यह प्रतीत होता है. कि किसी भी चीज को दूसरी चीज के समान मान लिया गया जैसे और दोनों ऊपर वाले अलंकारों में ऐसा प्रतीत होता है. कि शायद इनमें तुलना की गई .है लेकिन इस अलंकार में ऐसा प्रतीत होता है. कि बिल्कुल दूसरी चीज के समान इस चीज को मान लिया गया है जैसे मुख जो है वह बिल्कुल चंद्रमा के समान है.

इस अलंकार में मुख्य बिल्कुल चंद्रमा के समान मान लिया गया है. और दूसरे अलंकारों में अगर यही उदाहरण दिया होता तो ऐसा प्रतीत होता की मुख्य जो है चंद्रमा के समान दिखता है. और इसमें चंद्रमा के समान है.

4.अतिशयोक्ति अलंकार जब किसी वक्त हमें जो किसी पद में किसी नामुनकिन बात को बढ़ा चढ़ाकर बताया जाता है. तो उसको अतिशयोक्ति अलंकार कहते हैं. जैसे

लहरें व्योम चुनती उठती

देख लो साकेत नगरी है यही !

स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही है !!

इस उदाहरण में आप देख सकते हैं. इसमें लिखा गया है. लहरें व्योम उठती चूमती ऐसा कभी नहीं हो सकता की लहरें इतनी ऊंची उठ जाये आसमान को छू ले यह बिल्कुल नामुनकिन बात है. लेकिन इसको बहुत बढ़ा-चढ़ाकर लिखा गया है. तो यह एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण है.अगर हम साधारण भाषा में अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा आपको पता है. तो इसका सीधा सा मतलब होता है. कि इसमें किसी नामुनकिन चीज के बारे में लिखा हुआ मिलता है.

5. मानवीकरण अलंकार इस अलंकार में दूसरी निर्जीव चीजों में सजीव होने की बात दर्शाई जाती है. यानी उस जी चीज में मानव होने का बोध कराया जाता है. जैसे

दिवसावसान का समय

मेघमय आसमान से उतर रही है,

वह संध्या सुंदरी परी-सी

धीरे-धीरे-धीरे !

फूल हंसे कलियां मुस्काई

Answered by kc6530300
8

Alankar ke 5 bhad hote hain

Similar questions