२ अलंकार' के प्रकार (भेद) लिखकर
प्रत्येक के दो-दो उदा. लिखिए।
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Answer:
अलंकार के भेद)
अलंकार के मुख्यतः दो भेद होते हैं :
शब्दालंकार
अर्थालंकार
शब्दालंकार
शब्दालंकार दो शब्द से मिलकर बना है- शब्द + अलंकार
शब्द के दो रूप है- ध्वनि और अर्थ।
ध्वनि के आधार पर शब्दालंकार की सृष्टी होती है। इस अलंकार में वर्ण या शब्दों की लयात्मकता या संगीतात्मकता होती है, अर्थ का चमत्कार नहीं। जिस अलंकार में शब्दों के प्रयोग के कारण कोई चमत्कार उपस्थित हो जाता है और उन शब्दों के स्थान पर समानार्थी दूसरे शब्दों के रख देने से वह चमत्कार समाप्त हो जाता है, वह शब्दालंकार माना जाता है अर्थात जो अलंकार शब्दों के माध्यम से काव्यों को अलंकृत करते हैं, वे शब्दालंकार कहलाते हैं।
शब्दालंकार के भेद:
1. अनुप्रास अलंकार
2. यमक अलंकार
3. श्लेष अलंकार
अलंकार
वर्णों की आवृत्ति को अनुप्रास कहते है। आवृत्ति का अर्थ है-‘किसी वर्ण का एक से अधिक बार आना’। अनुप्रास दो शब्दों के मेल से बना है 'अनु+प्रास’, 'अनु' का अर्थ है- बार-बार तथा 'प्रास' का अर्थ है -वर्ण अर्थात जहाँ स्वर की समानता के बिना भी वर्णों की बार-बार आवृत्ति होती है, या जिस रचना में व्यंजन वर्णों की आवृत्ति एक या दो से अधिक बार होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
जैसे
मुदित महीपति मंदिर आए।
सेवक सुमंत्र बुलाए।
यहाँ पहले पद में 'म' वर्ण की और दूसरे वर्ण में 'स' वर्ण की आवृत्ति हुई है, अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार है।
तरनी तनुजा तात तमाल तरुवर बहु छाए।
जैसा की आप देख सकते हैं की ऊपर दिए गए उदाहरण में ‘त’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
अनुप्रास अलंकार के प्रकार-
छेकानुप्रास अलंकार
वृत्यानुप्रास अलंकार
लाटानुप्रास अलंका
Answer:
1. उपमा अलंकार
2.रूपक अलंकार
3.उत्प्रेक्षा अलंकार
4.द्रष्टान्त अलंकार
5.संदेह अलंकार
6.अतिश्योक्ति अलंकार
7. उपमेयोपमा अलंकार
8.प्रतीप अलंकार
9.अनन्वय अलंकार
10. भ्रांतिमान अलंकार
11. दीपक अलंकार
12. अपहृति अलंकार
13. व्यतिरेक अलंकार
14. विभावना अलंकार
15. विशेषोक्ति अलंकार
16 .अर्थान्तरन्यास अलंकार
17. उल्लेख अलंकार
18. विरोधाभाष अलंकार
19. असंगति अलंकार
20. मानवीकरण अलंकार
21. अन्योक्ति अलंकार
22. काव्यलिंग अलंकार
23. स्वभावोती अलंकार