अलार्म श्रीमती जी ने अपने करकमलों से घड़ी की पुंडी घुमाकर लगा दिया और खुद बाहर जाकर मोटर का पूरा मुआयना करके यह तसल्ली कर ली कि सूची में लिखा सब सामान आ गया या नहीं। सुबह पाँच बजते ही अलार्म ने शोर मचाया । रोशनी होते न होते जुहू की तैयारी चरम सीमा पर पहुँच गई । स्टोव को भी आज ही शेखा देना था । वह हर मिनट बुझने लगा । आधा घंटा उसमें तेल भरने, धौंकनी करने में चला गया। आखिर चाय का प्रोग्राम स्थगित कर दिया गया और हम दत्तचित्त हो तैयारी में जुट गए । वाटरलू जाने से पहले नेपोलियन ने भी ऐसी तैयारी न की होगी। ऐसी महत योजनाओं के संपन्न करने में हम पति-पत्नी परस्पर सहयोग भावना से काम करने पर विश्वास रखते हैं । सहयोग भावना प्रश्न तयार किजीएँ
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