Social Sciences, asked by amans6687, 3 months ago

अलाउद्दीन खिलजी के प्रशासनिक व्यवस्था को बताइए​

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Answered by anwarshahidgul0143
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Explanation:

अलाउद्दीन खिलजी की प्रशासनिक व्यवस्था

अलाउद्दीन खिलजी की प्रशासनिक व्यवस्था की विस्तृत जानकारी बरनी के विवरण से ज्ञात होती है। अलाउद्दीन ने एक विशाल साम्राज्य स्थापित करने के बाद उसे प्रशासनिक रूप से सुदृढ़ किया। अपने पूर्वकालीन सुल्तानों की तरह अलाउद्दीन के पास भी कार्यपालिका, व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका की सर्वोच्च शक्तियां विद्यमान थी। वह प्रशासन के केन्द्रीकरण में विश्वास रखता था। उसने प्रान्तों के सूबेदार तथा अन्य अधिकारियों को अपने पूर्ण नियंत्रण में रखा।

Memorable points

●अलाउद्दीन ने विशाल साम्राज्य स्थापित करने के बाद प्रशासनिक व्यवस्था को सुदृढ़ किया।

●इसके लिए जिन प्रान्तों की सरकारें दुर्बल थीं, उन्हें दक्ष राज्यपालों के नियंत्रण में लाया गया।

●अलाउद्दीन खिलजी अपने प्रशासनिक कार्यों का संचालन--दीवान-ए-विजारत, दीवान-ए-आरिज, दीवान-ए-इंशा व दीवान-ए-रसातल के सहयोग से करता था।

●दीवान-ए-विजारत--यह वित्त विभाग होता था। जो वजीर के अधीन होता था।

●दीवान-ए-आरिज--यह सैन्य विभाग था। इसका सर्वोच्च अधिकारी आरिज-ए-मुमालिक कहलाता था।

●दीवान-ए-इंशा--यह शाही सचिवालय होता था। इसका प्रमुख दबीर-ए-मुमालिक कहलाता था।

●दीवान-ए-रसातल--यह विदेश विभाग होता था।

●दीवान-ए-रियासत--इस विभाग की स्थापना अलाउद्दीन खिलजी ने की थी। यह विभाग बाजार व्यापारियों पर नियंत्रण रखता था।

●दिल्ली के सुल्तानों में अलाउद्दीन प्रथम सुल्तान था जिसने एक स्थायी केन्द्रीय सेना गठित की।

अलाउद्दीन खिलजी के प्रशासनिक मंत्रीगण

मंत्रीगण सिर्फ अलाउद्दीन को सलाह देने और राज्य के दैनिक कार्यों को संभालने का कार्य करते थे। उसके समय में चार महत्वपूर्ण मंत्री थे। जिन्हें शासन का आधार स्तम्भ कहा जाता था। पहला मंत्री वजीर कहलाता था। यह दीवान ए विजारत विभाग का प्रमुख होता था तथा सुल्तान के बाद शासन का सर्वोच्च अधिकारी होता था। राजस्व वसूली की जिम्मेदारी उसी की होती थी। इसके अतिरिक्त वह अन्य मंत्रियों के विभागों की भी देखभाल करता था तथा शाही सेना का नेतृत्व करता था। अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में ख्वाजा खातिर, नुसरत खां एवं मलिक काफूर वजीर के पद पर कार्य किये थे। दूसरा मंत्री आरिज ए मुमालिक कहलाता था यह सैन्य विभाग का प्रमुख होता था। वजीर के बाद यह दूसरा महत्वपूर्ण मंत्री पद था। इसके मुख्य कार्य सैनिकों की भर्ती करना, उन्हें वेतन बांटना, सेना की दक्षता एवं साज सज्जा की देखभाल करना, युद्ध क्षेत्र में सेनापति के साथ जाना आदि थे। अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में मलिक नासिरुद्दीन मुल्क सिराजुद्दीन आरिज ए मुमालिक के पद पर थे।

तीसरा महत्वपूर्ण मंत्री दबीर ए मुमालिक था। यह दीवान ए इंशा विभाग का प्रमुख होता था। इसका कार्य शाही आदेशों एवं पत्रों का प्रारूप तैयार करना था। चौथा प्रमुख मंत्री विदेश मंत्री होता था। यह दीवान ए रसातल विभाग का प्रमुख होता था। इसका कार्य विदेशों में भेजे जाने वाले पत्रों का प्रारूप तैयार करना तथा विभिन्न देशों के राजदूतों से सम्पर्क बनाये रखना था। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार व्यवस्था पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए एक नए विभाग दीवान ए रियासत की स्थापना की थी।

सैन्य प्रशासन--अलाउद्दीन खिलजी ने आन्तरिक विद्रोहों को दबाने, बाह्म आक्रमण का सफलता पूर्वक सामना करने एवं साम्राज्य विस्तार हेतु एक सुदृढ़ एवं स्थायी सेना का गठन किया था। उसने घोड़ों को दागने एवं सैनिकों का हुलिया लिखने की प्रथा शुरू की। अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली का प्रथम सुल्तान था जिसने स्थायी सेना का गठन किया था। उसने सेना का केन्द्रीकरण किया तथा सैनिकों की सीधी भर्ती एवं नकद वेतन देने की प्रथा प्रारम्भ की। अलाउद्दीन की सेना में घुड़सवार, पैदल सैनिक एवं हाथी सैनिक थे। इनमें घुड़सवार सबसे अधिक महत्वपूर्ण थे। तुमन दस हजार सैनिकों की एक टुकड़ी को कहा जाता था। सैनिकों को 19.5 टंका से लेकर 234 टंका तक वार्षिक वेतन मिलता था।

●उसने घोड़ों को दागने और सैनिकों का हुलिया लिखने की प्रथा आरम्भ की।

●सैनिकों को नकद वेतन देने की प्रथा की शुरुआत करने वाला प्रथम सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी था।

●दीवान-ए-आरिज--प्रत्येक सैनिक की नामावली एवं हुलिया रखता था।

●भली-भांति जांच परख कर भर्ती किये गये सैनिक को मुर्रत्तब कहा जाता था।

Answered by AnviAdhit
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