अलाउद्दीन खिलजी ने बाज़ार नियंत्रण नीति आरम्भ की? इसकी विशेषताओं की विवेचना कीजिये
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Explanation:
गद्दी पर बैठने के बाद ही अलाउद्दीन की इच्छा सम्पूर्ण भारत को जीतने की थी। इसके लिए एक बड़ी सेना की आवश्यकता थी। मोरलैण्ड ने यह अनुमान लगाया है कि यदि वह सामान्य वेतन पर भी सेना को संगठित करता, तब भी धन मात्र पाँच वर्षों में ही समाप्त हो जाता। अतः उसने सैनिकों के वेतन को कम करने का निश्चय किया। परन्तु उन्हें किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े इसलिए उसने उनकी आवश्यक वस्तुओं के दाम निश्चित कर दिये। इसे ही उसकी बाजार नियंत्रण नीति कहा गया।
इस बाजार नियंत्रण में चार प्रकार के प्रमुख बाजार थे-
अलाउद्दीन ने बाजार नियंत्रण नीति में कुल चार बाजार स्थापित किये- गल्ला मण्डी, सराय-ए-अदल, घोड़ो दासों एवं मवेशियों का बाजार एवं सामान्य बाजार इसमें गल्ला-ए-मण्डी सबसे सफल रही।
गल्ला बाजार ( अनाज मंडी ) – इस बाजार में विभिन्न प्रकार के अनाज राज्य द्वारा तय किये गये मूल्यों पर बेचे जाते थे।इस बाजार का प्रमुख शहना-ए-मण्डी होता था। इस बाजार में वे व्यापारी ही अनाज बेचते थे जो शहना-ए-मंडी के दफ्तर में नामांकित ( रजिस्टर्ड ) हो। इस बाजार में अनाजों की आपूर्ति सुलभ कराने के लिये अलाउद्दीन ने नकद की बजाय भू-राजस्व में अनाज के रूप में कर वसूला तथा बंजारों को गांवों से इन मंडियों तक अनाज लाने के लिये अधिकृत किया। अलाउद्दीन खिलजी के समय शहना-ए-मंडी के पद पर मलिक काबुल स्थापित था।
सराय-अदल ( कपङा बाजार )- इस बाजार में विभिन्न प्रकार के कपङों के अलावा जङी-बूंटी, घी, तेल आदि वस्तुयें भी बेची जाती थी। इस का प्रमुख राय परवाना कहलाता था। इस बाजार में कुछ विशेष प्रकार के वस्त्रों को बेचा जाता था जैसे- तस्बीह, तबरेज, कंजभावरी, सुनहरी जरी, खुज्जे-दिल्ली, सिलहटी, सीरी-ए-बाफ्ता, कमरबाद। इस बाजार में अलाउद्दीन ने मुल्तान के रेशमी कपङे के व्यापारियों को कम किमत पर रेशमी वस्र बेचने के लिये 20 लाख टंके की सब्सीडी प्रदान की थी।
घोङों, गुलामों तथा पशुओं का बाजार- इस बाजार में अलग-2 किस्म के घोङो, पशुओं तथा गुलामों की दर तय की गई तथा बिचौलियों को बाजार से हटाने का प्रयास किया, क्योंकि इनके कारण वस्तुओं के मूल्यों में काफी उतार-चढाव होता था, लेकिन इसमें अलाउद्दीन पूर्णतः सफल नहीं हुआ।
सामान्य बाजार:- बड़े बाजारों के अतिरिक्त छोटी-छोटी वस्तुओं के दाम भी निश्चित थे- जैसे-मिठाई, सब्जी, टोपी, मोजा, चप्पल, कंघी आदि।