अलाउद्दीन खिलजी द्वारा प्रारंभ किए गए दाग एवं हुलिया प्रथा क्या थे?
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प्राचीन काल में अलाउद्दीन खिलजी जो दिल्ली का सुल्तान था। ... घोड़े को भी पहचानने का एक तरीका इन्होंने निकाला था, घोड़े को अलाउद्दीन खिलजी के जो सैनिक थे वह चिन्हांकित करते थे दागते अर्थात घोड़े को दागने की प्रथा भी अलाउद्दीन खिलजी ने प्रारंभ की थी।
अलाउद्दीन खिलजी द्वारा प्रारंभ की गई दाग प्रथा : -
तुर्की सुल्तानों में अलाउद्दीन खिलजी प्रथम शासक था जिसने घोड़े को दागने की प्रथा प्रारंभ की थी उन्होंने घोड़े को दागने की प्रथा शुरू की और सैनिकों की एक सूची भी बनाए रखें । उन्होंने श्री गांव के पास प्रसिद्ध हौज खास का निर्माण किया।
अलाउद्दीन खिलजी द्वारा प्रारंभ की गई हुलिया प्रथा : -
इस प्रथा के अनुसार सैनिकों के चेहरे का पूरा लेखा जोखा रखा जाता था । इसी के साथ जब बूढ़े व्यक्ति मरणासन्न हो जाते हैं तो उन्हें नदी के तट पर ले जाकर उन्हें डुबकी लगवायी जाती थी। जब तक उनके प्राण न निकल जाए ,और प्राण न निकलने पर भी उन्हें वहीं छोड़कर चले आते थे और बुजुर्ग लोग तड़पकर अपने प्राण त्याग देते थे। सन 1831 में अंग्रेजी शासन के द्वारा इस प्रथा को बंद करवाया गया था।
इस प्रथा को इल्तुतमिश ने भी जारी रखा।
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