Alamban vibhav and uddipan vibhav kise kahte hai?
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आलम्बन विभाव और उद्दीपन विभाव
विभाव की परिभाषा : -हर मनुष्य के मन में स्थाई भाव पहले ही होता है लेकिन वे किसी कारण से जागते है। स्पष्ट है कि "स्थाई भाव को जगाने वाले कारण व्यक्ति वस्तु या परिस्थिति (दशा )विभाव कहलाते है।
विभाव दो प्रकार के होते है :-
- आलम्बन विभाव
- उद्दीपन विभाव
आलम्बन विभाव :- स्थाई भाव को जगाने वाले कारण जो कोई व्यक्ति हो सकता है , कोई वस्तु हो सकती है या कोई परिस्थिति हो सकती है उसे आलम्बन विभाव कहा जाता है। उदाहरण के लिए -लक्ष्मण को देख कर परशुराम को क्रोध हुआ तो लक्ष्मण क्रोध का अवलंबों है। दूसरlउदाहरण यह हो सकता है कि जब सुदामा श्री कृष्ण से मिलने आते हैं तो उनकी दीं दशा को देख कर रो पड़ते है। सुदामा की दीन -हीनदशा उनके स्थाई भाव शोक को जागती है इसलिए सुदामा आलम्बन विभाव है।
उद्दीपन विभाव - उद्दीपन शब्द का अर्थ है और बढ़ाना ,और तेज़ करना। जैसे आग में घी डाल कर उसे और तेज़ या उद्दीप्त कर दिया जाता है उसी तरह स्थाई भाव को और तेज़ करने वाले कारण उद्दीपन विभाव कहे जाते है। जैसे -लक्ष्मण का परशुराम को ललकारना व्यंग्य करना मुस्कुराना उनके क्रोध को और बढ़ा देता है। यही उद्दीपन विभाव है।