alankar ka kitna bedh hota ha
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जहाँ पर वक्ता द्वारा भिन्न अभिप्राय से व्यक्त किए गए कथन का श्रोता 'श्लेष' या 'काकु' द्वारा भिन्न अर्थ की कल्पना कर लेता है, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है। इसके दो भेद हैं-श्लेष वक्रोक्ति और काकु वक्रोक्ति। ... दोनों 'ठौर' का अर्थ एक ही . है परन्तु पुनरुक्ति से कथन में बल आ गया है।
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