अलग-अलग समय पर दार्शनिक मनोवैज्ञानिक समाज शास्त्रियों और शिक्षा वेदों ने शिक्षा का अर्थ बताया है वह अब तक आप शिक्षा को जिस प्रकार समझते हैं उन उन उसमें किस प्रकार भिन्न है उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए
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शिक्षा का संकुचित अर्थ
संकुचित रूप से स्कूली शिक्षा को ही शिक्षा कहते हैं। इस रूप में व्यस्क वर्ग एक पूर्व निश्चित योजना के अनुसार बालक के सामने एक विशेष प्रकार के नियंत्रित वातावरण को प्रस्त्तुत करके एक निश्चित ज्ञान को एक निश्चित विधि द्वारा निश्चित काल में समाप्त कनरे का प्रयास करता है जिससे उसका मानसिक विकास हो जाये। शिक्षा के इस अर्थ में शिक्षक का स्थान मुख्य होता है तथा बालक का गौण। शिक्षक से यह आशा की जाती है कि वह बालक को मानसिक दृष्टि से विकसित करने के लिए अधिक से अधिक ज्ञान दे। ऐसे ज्ञान को प्राप्त करके बालक तोता तो आवश्य बन जाता है, परन्तु उसका सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता। परिणामस्वरूप वह अपने भावी जीवन में चारों ओर भटकता ही फिरता है। संक्षेप में, संकुचित अर्थ के अनुसार शिक्षा बालक की स्वतंत्रता का गला घोंट कर उसके स्वाभाविक विकास को एक चुनौती है। ध्यान देने की बात है कि जहाँ इस रूप में स्कूली शिक्षा के कुछ दोष हैं वहाँ अपना निजी महत्त्व भी है। मिल के शब्दों में – शिक्षा द्वारा एक पीढ़ी के लोग दूसरी पीढ़ी के लोगों में संस्कृति का संक्रमण करते हैं ताकि वे उसका संरक्षण कर सकें और यदि सम्भव हो तो उसमें उन्नति भी कर सकें।
शिक्षा के संकुचित अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए हम निम्नलिखित पंक्तियों में सब कुछ अन्य विद्वानों के विचारों पर प्रकाश डाल रहे हैं –
(1) एस०एस०मैकेन्जी- “संकुचित अर्थ में शिक्षा का अर्थ हमारी शक्तियों के विकास तथा सुधार के लिए चेतनापूर्वक किये गये
(2) प्रोफेसर ड्रिवर- “ शिक्षा एक प्रक्रिया है, जिसमें तथा जिसके द्वारा बालक के ज्ञान, चरित्र, तथा व्यवहार को एक विशेष सांचे में ढाला जाता है “
(3) जी०एच०थामसन- शिक्षा एक विशेष प्रकार का वातावरण है जिसका प्रभाव बालक के चिंतन, दृष्टिकोण तथा व्यवहार करने की आदतों पर स्थायी रूप से परिवर्तन के लये डाला जाता है।
अलग-अलग समय पर दार्शनिक मनोवैज्ञानिक समाज शास्त्रियों और शिक्षा वेदों ने शिक्षा का अर्थ बताया है वह अब तक हम शिक्षा को जिस प्रकार समझते हैं उसमें किस प्रकार भिन्न है उदाहरण के साथ निम्न प्रकार से स्पष्ट किया गया है।
- विभिन्न दार्शनिकों के मत -
- एस . एस मैकेंजी के अनुसार शिक्षा का अर्थ हमारी शक्तियों के विकास व सुधार के लिए चेतना पूर्वक करना है।
- प्रोफेसर ड्रिवर के अनुसार शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा बालक के ज्ञान, चरित्र व व्यवहार को एक विशेष सांचे में ढाला जाता है।
- जी एच थॉमसन के अनुसार शिक्षा एक विशेष प्रकार का वातावरण है जिससे बालक या किसी विद्यार्थी के चिंतन , दृष्टिकोण व व्यवहार की आदतों में स्थाई रूप से परिवर्तन लाया जा सके।
- मेरे विचार से शिक्षा का अर्थ केवल बाहरी ज्ञान अर्जित करना नहीं अपितु विद्यार्थी की संकुचित सोच को भी परिवर्तित करना है। यदि विद्यार्थियों को स्वच्छता के बारे पढ़ाया जाता है तो वास्तव में एक दिन विद्यालय में स्वच्छता दिवस रखा जाना चाहिए । यदि विद्यालय में समाज सेवा करना पढ़ाया जाता है तो वास्तव में उनसे सेवा करवाई जानी चाहिए। विद्यार्थियों की सोच में परिवर्तन लाया जाना चाहिए जिससे वे अपने परिवार में दहेज के विरूद्ध व अन्य असामाजिक मुद्दों पर सही कदम उठा सकें।
#SPJ3