all alankars used in class 10 hindi kabir ki sakhi
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ऐसी बाँणी बोलिये, मन का आपा खोइ। अपना तन सीतल करै, औरन कौं सुख होइ।। व्याख्या: कबीरदास जी कहते हैं कि हमें ऐसी बोली बोलनी चाहिए जो हमारे हृदय के अहंकार को मिटा दे अर्थात जिसमें हमारा अहं न झलकता हो, जो हमारे शरीर को भी ठंडक प्रदान करे तथा दूसरों को भी सुख प्रदान करे।
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- - "बानी -बोलिये" में अनुप्रास अलंकार है।
- " कस्तूरी-कुंडली", "दुनिया-देखे" - में अनुप्रास अलंकार है।
- "घटि -घटि " में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
- "हरि है", "दीपक देख्या" में अनुप्रास अलंकार है।
- "मै" शब्द अहं भाव के लिए प्रयोग किया गया है।
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