Sociology, asked by kalpanag041, 2 months ago

All questions carry equal marks.
प्रश्न 1. कृषक आन्दोलन क्या है ? इसके कारणों की व्याख्या कीजिए।
प्रश्न 2. वेश्यावृत्ति के कारणों की समीक्षात्मक व्याख्या कीजिए।
प्रश्न 3. सत्यशोधक समाज क्या है ? इसने अपने उद्देश्यों की पूर्ति में किये गये प्रयासो का वर्णन
कीजिए।
प्रश्न 4. सामाजिक आन्दोलन के अर्थ को परिभाषित करते हुए उसकी प्रमुख विशेषताओं का
उल्लेख करो।
प्रश्न 5. राष्ट्रीय आन्दोलन में महिलाओं के योगदान की चर्चा कीजिए।​

Answers

Answered by mrdominar5054
1

Answer:

कृषि आंदोलन एक प्रकार का आंदोलन जिसमें किसान अपने हक की मांग करने के लिए आंदोलन करते हैं एवं जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं जाती हो तब तक आंदोलन करते हैं, ३ सत्यशोधक समाज एक ऐसे समाज होता है जहां सत्य की आवृत्ति चलती है एवं यह समझ दूसरों को भी यही करने के लिए प्रेरित करता है ४ सामाजिक आंदोलन का अर्थ आप इस प्रकार से समझें समाज के प्रति उठाए गए आंदोलन पहला पॉइंट सामाजिक आंदोलन समाज के प्रति किया जाता है, इस आंदोलन में लोग समाज को सही रास्ता दिखाने के लिए आंदोलन करते हैं, इस आंदोलन से लोग अपनी व्यथा को व्यक्त करते हैं, ५ राष्ट्रीय आंदोलन के समय महिलाओं का योगदान भरपूर रहा था मेरे विचार से राष्ट्रीय आंदोलन बिना महिलाओं के योगदान के हो ही नहीं सकता था उन्होंने अपने घर समाज को छोड़कर इस आंदोलन में भाग लिया एवं इस आंदोलन को पूरा करने में अपनी भागीदारी निभाई जिस कारण हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय आंदोलन में महिलाओं का पूरा योगदान रहा था।

Answered by BeautyQueen007
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Answer:

भारत में कृषक आंदोलन के मुख्य कारण है किसानों पर होने वाले अत्याचार, अवैध करारोपण, अवैतनिक श्रम, उच्च लगान, मनमानी बेदखली एवं भू-राजस्व। भारत में कृषक की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन खराब हो रही है जिसके कारण कृषि श्रमिक कर्ज में डूबते जा रहे हैं।

वेश्यावृत्ति का प्रमुख कारण उसकी मांग है। कुछ लोगों का कहना है कि इसका संतुलन माँग और पूर्ति के सिद्धांत पर आधारित है। जब मांग अधिक होती है तो वेश्याओं की संख्या बढ़ जाती है और जब मांग कम होती है तो वेश्याओं की संख्या घट जाती है। नारी का आकर्षण वेश्यावृत्ति के विकास का प्रमुख कारण है।

सत्यशोधक समाज (अर्थ : सत्य अर्थात सच की खोज करने वाला समाज) 24 सितम्बर सन् 1873 में ज्योतिबा फुले द्वारा स्थापित एक पन्थ है। यह एक छोटे से समूह के रूप में शुरू हुआ और इसका उद्देश्य शूद्र एवं अस्पृश्य जाति के लोगों को विमुक्त करना था। इनकी विचार "गुलामगिरी, सार्वजनिक सत्यधर्म " में निहित है ।

ए. राव के शब्दों में " एक सामाजिक आन्दोलन समाज के एक भाग द्वारा समाज मे आंशिक या पूर्ण परिवर्तन लाने के लिए किया गया सामूहिक प्रयास है। कैमरोन के शब्दों मे " जब बहुत से व्यक्ति अपने साहूमिक प्रयत्नों द्वारा संस्कृति के किसी भाग अथवा सामाजिक व्यवस्था मे परिवर्तन लाते है तब इसको सामाजिक आन्दोलन कहा जाता है।

गांधी जी दव्ारा राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व संभालने के साथ ही राष्ट्रीय आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी। इसका कारण यह था कि गांधी जी की सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह की नीति महिलाओं के स्वभाव के अनुकूल थी। असहयोग आंदोलन के दौरान सरोजिनी नायडू के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्त्री संघ की स्थापना की गई थी।

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