Hindi, asked by sitapk007, 4 days ago

Alliviles) 1. गाँव और शहर दोनों की प्रगति से ही राष्ट्रीय विकास का मार्ग प्रशस्त होगा, कैसे? from book of gulmohar ch-10 gaon ya shahar

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Answered by ayushpundhir526
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Answer:

आज भारत के गांवों में बदलाव की नई इबारत लिखी जा रही है। गांवों में हुई नई पहल का असर दिखाई पड़ रहा है। गांवों में भी शहर जैसी सुविधाएं हैं। लघु एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिल रहा है। गांव-गांव सड़कें पहुंच गई हैं और आधारभूत सुविधाओं का लगातार विकास हो रहा है। गांव-गांव में न सिर्फ बैंक खोले जा रहे हैं बल्कि डाकघरों को भी बैंक के रूप में विकसित किया जा रहा है। आज कच्चे मकानों से भी हेलो की आवाज सुनाई पड़ती है। खेत-खलिहान से ही किसान संचार क्रांति के जरिए अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर रहे हैं।“भारत गांवों में बसता है। गांवों में जब तक शहरों जैसी सुविधाएं विकसित नहीं की जाएंगी, तब तक समग्र भारत का विकास नहीं होगा”, यह अवधारणा थी महात्मा गांधी की। महात्मा गांधी की इसी अवधारणा को केंद्र सरकार ने आत्मसात किया और ग्रामीण भारत के विकास के लिए कई नए प्रयोग किए। विभिन्न क्षेत्रों में समग्र विकास को गति देने के लिए एक के बाद एक योजनाएं लागू की और योजनाओं के सही तरीके से क्रियान्वयन करने और आम आदमी को योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए जरूरत के मुताबिक संविधान में भी संशोधन किया।

जुलाई और नवंबर 2008 में महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच किए गए एक सर्वे में पाया गया कि मोबाइल ने किसानों की हर समस्या का समाधान कर दिया है। सर्वेक्षण से यह बात उभरकर सामने आई कि मोबाइल का सबसे ज्यादा फायदा महाराष्ट्र के किसानों ने उठाया है। दूसरे नंबर पर राजस्थान के किसान रहे और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश के। यूपीए सरकार की ओर से किए गए इन उपायों के असर भी दिखाई पड़ने लगे हैं। राष्ट्रीय कृषि विभाग योजना के तहत खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन से जहां फल-फूल और सब्जी व मसालों की पैदावार बढ़ी है वहीं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत अनाज एवं दालों का उत्पादन बढ़ा है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून और शिक्षा का अधिकार जैसे कानून के लागू होने के बाद न सिर्फ शैक्षिक विकास को गति मिली है बल्कि बेरोजगारी की दर में भी गिरावट आई है। लोगों को रोजगार के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ रहा है, उन्हें गांव में ही अपने घर के आसपास रोजगार मिल रहे हैं।

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