History, asked by govindsinghrathor224, 7 months ago

अलवार और नयनार अपने इस्ट की
स्तुति किस
भाषा मे करते थे​

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Answered by msjayasuriya4
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Answer:

एक महिला नयनार-करईक्कल अमय्यर थी

हिन्दू धर्म में नयनार भगवान शिव के भक्त सन्त थे। इनका उद्भव मध्यकाल में मुख्यतः दक्षिण भारत के तमिलनाडु में हुआ था। कुल 63 नयनारों ने शैव सिद्धान्तो के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी प्रकार विष्णु के भक्त सन्तों को आलवार कहते हैं।

ये सभी नायत्मार मुक्तात्मा माने जाते हैं। इनकी मूर्तियाँ मंदिरों में स्थापित की गई है और इनकी पूजा भगवान के समान ही की जाती है। इन संतों का चरित्र शेक्किषार नामक भक्तकवि के पेरियपुराण में वर्णित है। इन संतों का जीवन तेलुगु में 'शिवभक्त चरितमु' के नाम से प्रकाशित हुआ है।

Answered by ishu8424
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Answer:

तमिलनाडु के अलवार (विष्णु के भक्त) और नयनार (शिव के भक्त) सन्तों ने अपने विचार जनसामान्य तक पहुँचाने के लिए स्थानीय भाषा का प्रयोग किया। वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते हुए तमिल में अपने इष्टदेव की स्तुति में भजन गाते थे

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