अम्बर की ऊंचाई POEM ON MOTHER
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sonnet my incomparable mother written by f joanna
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अम्बर की ऊंचाई
Explanation:
अम्बर कि ये ऊंचाई
सागर कि ये गहराइ
तेरे मन मे हे समाई
माइ … ओ माइ
तेरा मन अमृत का प्याला
यहि काबा यहि शिवाला
तेरी ममता जीवन दाइ
माइ ….ओ माइ
जी चाहे क्यू तेरे साथ रहुँ
मै बन के तेरा हम जोली
तेरे हाथ ना आउँ, छुप जाउँ
यू खेलूं आँख मिचोली
परियो की कहानी सुना के
कोई मीठी लोरी गा के
कर दे सपने सुख दाइ
माइ …..ओ माइ
संसार के ताने बाने से
घबराता हे मन मेरा
इन झूटे रिश्ते नातों मे
बस प्यार है सच्चा तेरा
सब दुख सुख मे ढल जाएँ
तेरी बाहे जो मिलजायें
मिलजाये मुझे खुदाई
माइ….. ओ माइ
जाड़े की ठण्डी रातो मे
जब देर से मैं घर आऊं
हल्की सी दस्तक पर अपनी
तुझे जागता हुवा मैं पाऊं
सर्दी से ठिठुरती जाए
ठण्डा बिस्तर अपनाए
मुझे देके गरम् रजाइ
माइ ….ओ माइ
फिर कोई शरारत हो मुझ से
नाराज करुं फिर तुझ को
फिर गाल पे थप्पी मार के तू
सीने से लगा ले मुझ को
बचपन की प्यास बुझा दे
अपने हाथों से खिला दे
पल्लू मे बंधी मिठाइ
माइ ….ओ माइ