Hindi, asked by anshudevi931, 10 months ago

अमोघशक्ति का क्या नियम था? तथा इंद्र ने कर्ण को क्यों दिया?​

Answers

Answered by Swetakumar6789
1

Answer:

महाभारत वनपर्व के कुण्डलाहरण पर्व के अंतर्गत अध्याय 310 में कर्ण को इन्द्र से अमोघ शक्ति की प्राप्ति का वर्णन हुआ है

Explanation:

वैशम्पायन जी कहते हैं- जनमेजय! तब कर्ण अत्यन्त प्रसन्न होकर देवराज इन्द्र के पास गया और सफलतामनोरथ होकर उसने उनकी अमोघ शक्ति माँगी।

कर्ण बोला - वासव! मेरे कवच और कुण्डल लेकर आप मुझे अपनी वह अमोघ शक्ति प्रदान कीजिये, जो सेना के अग्रभाग में शत्रुसमुदाय का संहार करने वाली है। राजन! तब इन्द्र ने शक्ति के विषय में दो घड़ी तक मन-ही-मन विचार करके कर्ण से इस प्रकार कहा- ‘कर्ण! तुम मुझे अपने दोनों कुण्डल और सहज कवच दे दो और मेरी यह शक्ति ग्रहण कर लो। इसी शर्त के अनुसार हम लोगों में इन वस्तुओं का विनिमय (बदला) हो जाय।। ‘सूतसूदन! दैत्यों का संहार करते समय मेरे हाथ से छूटने पर यह अमोघ शक्ति सैंकड़ों शत्रुओं को मार देती है और पुनः मेरे हाथ में चली आती है। ‘वही शक्ति तुम्हारे हाथ में जाकर किसी ऐ तेजस्वी, ओजस्वी, प्रतापी तथा गर्जना करने वाले शत्रु को मार के पुनः मेरे पास आ जायगी’।

Similar questions