Hindi, asked by nituprajapati6268035, 2 months ago

अम्मी न होगा मेरा अंत
अप्सी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसंत
अप्मी न होगा मेरा अंत ।
हरे-हरे ये पात,
डालियाँ , कलिया कोमल ठाात ।
में ही अपना स्वप्न-मृदुल - कर
फेरुवा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्युष मनोहरा
पुष्य-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूंगा मैं,
अपने नवजीवन का अमृत संहर्ष सीच दगा में
द्वार दिखा दूंगगा फिर उनको।
है मेरे वे जहाँ अनन्त
अभi
न होगा मेरा अंत ।
is poem ka arth batao​

Answers

Answered by BikashKumar05
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Answer:

कवि मानते हैं कि अभी उनका अंत नहीं होगा। अभी-अभी उनके जीवन रूपी वन में वसंत रूपी यौवन आया है।कवि प्रकृति का वर्णन करते हुए कहते हैं कि चारों ओर वृक्ष हरे-भरे हैं,पौधों पर कलियाँ खिली हैं जो अभी तक सो रही हैं।कवि कहते हैं वो सूर्य को लाकर इन अलसाई हुई कलियों को जगाएँगे और एक नया सुन्दर सवेरा लेकर आएंगे। कवि प्रकृति के द्वारा निराश-हताश लोगों के जीवन को खुशियों से भरना चाहते है। कवि बड़ी तत्परता से मानव जीवन को संवारने के लिए अपनी हर ख़ुशी एवं सुख को दान करने के लिए तैयार हैं। वे चाहते हैं हर मनुष्य का जीवन सुखमय व्यतीत हो। इसिलए वे कहते है कि उनका अंत अभी नहीं होगा जबतक वो सबके जीवन में खुशियाँ नहीं लादेते।

Answered by janvichaudhary418
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Answer:

कवि सूर्यकांत त्रिपाठी जी ध्वनि कविता की इन पंक्तियों में कह रहे हैं कि उनका अंत अभी नहीं होगा। उनके जीवन में वसंत रूपी यौवन अभी-अभी ही तो आया है। इन पंक्तियों में कवि छिपे हुए तरीके से कह रहे हैं कि उनका मन जोश और उत्साह से भरा हुआ है। जब तक वो अपने लक्ष्य को पा नहीं लेते, वो हार नहीं मानेंगे।

इन पंक्तियों में कवि ने हारे हुए और निराश लोगों को सोई हुई कलियाँ कहा है। जिस प्रकार सूरज के आ जाने से सभी पेड़-पौधों और कलियों में जान आ जाती है, ठीक उसी प्रकार निराला जी अपने

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